जापान-बांग्लादेश समेत यूरोपिय देशों में क्यों EVM पर लगी पाबंदी, आखिर क्या है इसकी वजह?

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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EVM Machine: इस समय इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) दुनियाभर में विवाद और चिंताओं का कारण बनी हुई है. ऐसे में एक और जहां भारत में EVM के इस्‍तेमाल को लेकर राजनीतिक बहस जारी है, वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश, जापान, जर्मनी, और नीदरलैंड जैसे देशों में इसे बंद कर दिया गया है.

दरअसल, बांग्लादेश ने साल 2018 के आम चुनावों में वोटिंग के लिए EVM का इस्तेमाल किया था, इस दौरान विपक्षी दलों खासतौर से बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने EVM का दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाया था. जिसके वजह साल 2023 के चुनावों से पारंपरिक मतपेटी (बैलेट बॉक्स) का इस्‍तेमाल किया जाने लगा. यही वजह है कि नई EVM खरीदने का 8,711 करोड़ टका का बजट भी खारिज कर दिया गया.

जापान में EVM के इस्तेमाल पर रोक

वहीं, एशिया के सबसे ताकतवार देशों में से एक जापान में भी साल 2018 से वोटिंग के दौरान EVM मशीन के इस्तेमाल पर रोक है. वहां भी EVM की सुरक्षा और पारदर्शिता पर सवाल उठाए गए थे, जिसके बाद इसकी जांच में कोर्ट ने पाया कि EVM में छेड़छाड़ करने की संभावना है, जिसके वजह से नगरपालिका चुनावों के बाद इसके इस्‍मेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया.

इसके अलावा, जर्मनी में तो आज से 15 साल पहले ही इसे असंवैधानिक घोषित कर दिया गया था. EVM पर उठे सवालों पर मामले की सुनवाई करते हुए जर्मनी की अदालत ने कहा था कि EVM की वजह से मतदान प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी देखी गई है. कोर्ट ने कहा कि आम नागरिकों के लिए यह प्रणाली अपारदर्शी है, इसके जरिए चुनावी नतीजों में हेराफेरी की जा सकती है.

यूरोपीय देशों में EVM बैन

यूरोपीय देश नीदरलैंड में भी सुरक्षा खामियों के कारण ही कोर्ट के आदेश पर साल 2006 से EVM पर बैन लागू है, जबकि आयरलैंड और इटली में भी 2010 में EVM के इस्तेमाल पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई है. हालांकि एक ओर जहां सभी देश ईवीएम के इस्‍तेमाल पर रोक लगा रहे है, वहीं, दूसरी ओर पाकिस्‍तान इसके इस्‍तेमाल शुरू करने पर विचार कर रहा है.

दरअसल, पाकिस्तान ने एक प्रोटोटाइप EVM विकसित किया है, जिसके जरिए वो चुनाव कराने की संभावना पर विचार कर रहा है. हालांकि, इस मामले में अभी तक कोई ठोस निर्णय नही लिया गया है.

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