Fujian Vs INS Vikrant: अमेरिका और चीन दो ऐसे देश है जो दुनियाभर में अपना धाक जमाना चाहते हैं. ये दोनों अपने आपको दुनिया का बादशाह साबित करना चाहते हैं. इनकी टशन ऐसी कि जल, थल और वायु में अपनी-अपनी सेना को ताकतवर बनाने में लगे ही रहते हैं. एक तरह अमेरिका के पास हवाई जहाजों को लेकर चलने वाले दुनिया के सबसे घातक जंगी जहाज (विमान वाहक पोत) हैं, तो वहीं अब चीन ने भी अमेरिका से बाहर अत्याधुनिक और घातक विमान वाहक पोत फुजियान तैयार कर लिया है.
अब चीन ने अपना विमान वाहक पोत फुजियान पानी में उतार दिया है. समुद्र में इसका परीक्षण किया जा रहा है कि आखिर ये कितना बलशाली और पावरफुल है. बता दें कि पहली बार चीन से इसे जून 2022 में सागर में उतारा था. वहीं भारत के पहले स्वदेशी विमान वाहक पोत INS विक्रांत के नेवी में शामिल होने के दो साल बाद चीन ने इसकी टेस्टिंग शुरू किया है. ऐसे में आइए जानते हैं कि चीनी फुजियान और भारतीय आईएनएस विक्रांत में से कौन ज्यादा ताकतवर है.
चीन का सबसे उन्नत विमान वाहक पोत फुजियान
फुजियान को चीन का अब तक का सबसे उन्नत और सबसे बड़ा विमान वाहक युद्धपोत कहा जा रहा है. अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते तनाव के कारण चीनी नौसेना ने दूसरी बार इसका परीक्षण शुरू किया है. चीन के सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, यह युद्धपोत समुद्र में टेस्टिंग के लिए शंघाई जियांगनान शिपयार्ड से रवाना किया गया है, जिसे पूरी तरह से घरेलू लेवल पर डिजाइन और बनाया गया है.
कहा ये भी जा रहा है कि समुद्र में फुजियान के टेस्टिंग के कारण चीन ने यांगत्जे नदी के मुहाने के आसपास समुद्र में यातायात को नियंत्रित कर दिया है जोकि 9 मई तक चलेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीन विवादित दक्षिण चीन सागर और ताइवान में साल 2035 तक अपने युद्धपोत तैनात करने की तैयारी में लगा है.
इस सिस्टम से लैस फुजियान
फुजियान को लेकर कहा जा रहा है कि इस चीनी विमान वाहक युद्धपोत का वजन 80 हजार टन से भी ज्यादा है. इस पर एक बार में 60 से 70 तक फाइटर जेट यात्रा कर सकते हैं और इससे उड़ान भर सकते हैं. ये युद्धपोत इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर टेक्निक से लैस है, जो इसे और भी खास बना देते हैं.
दरअसल, इन टेक्निक से एक जगह पर खड़े किसी भी फाइटर जेट को गुलेल की तर्ज पर तेज झटके से उड़ाया जा सकता है. इसके साथ ही हवा में उड़ रहे विमान को बिना किसी झटके के अचानक रोक भी सकते हैं. इलेक्ट्रोमैग्नेटिक एयरक्राफ्ट लॉन्च सिस्टम और एडवांस्ड अरेस्टिंग गियर तकनीक अभी तक केवल अमेरिका के पास थी और इसका इस्तेमाल अंकल सैम के गेराल्ड फोर्ड विमान वाहक पोत में ही किया गया था. बता दें कि गेराल्ड फोर्ड अब भी दुनिया का सबसे बड़ा विमान वाहक पोत है.
आयताकार रडार सिस्टम से लैस
चीन के फुजियान की तकनीकी क्षमता इसे भारी पेलोड और बढ़ी हुई ईंधन क्षमता के साथ बड़े फिक्स्ड विंग वाले विमानों को लॉन्च करने में सक्षम बनाती है. साथ ही इसमें गश्ती विमानों से लेकर चेतावनी देने और कंट्रोल करने तक का सारा इंतजाम किया गया है. इसमें आयताकार रडार सिस्टम है जो काफी लंबी दूरी से आ रहीं मिसाइलों और लड़ाकू विमानों का आसानी ये पता लगा लेगा.
भारत के मुकाबले चीन के पास एक ज्यादा विमान वाहक युद्धपोत
बता दें कि अब तक भारत और चीन के पास बराबर यानी 2-2 विमान वाहक युद्धपोत थे. लेकिन अब फुजियान के निर्माण के साथ ही चीन इस मामले में आगे हो गया है. उसके पास तीसरा विमान वाहक युद्धपोत हो गया है. इस मामले में भारत भी पीछे नहीं रहने वाला और अगली पीढ़ी के नौसैनिक जहाजों को बनाने में लगा है. इसमें सबसे ऊपर है एक और स्वदेशी विमान वाहक पोत का निर्माण, जो भारत के नए स्वदेशी विमान वाहक पोत विक्रांत के जैसे ही होगा.
INS विक्रांत में प्रयोगशाला भी
भारतीय आईएनएस विक्रांत की बात करें तो इसकी पूर्ण विस्थापन क्षमता 45 हजार टन है. यह भारत में ही डिजाइन कर निर्मित किया गया सबसे बड़ा विमान वाहक युद्धपोत है. कोचिन शिपयार्ड में बनाए गए आईएनएस विक्रांत की लंबाई 262 मीटर और चौड़ाई करीब 62 मीटर है. 59 मीटर ऊंचे विक्रांत की बीम 62 मीटर की है. आईएनएस में विक्रांत में वैज्ञानिक प्रयोगशालाएं भी स्थापित की गई हैं. इस विमान वाहक युद्धपोत में 14 डेक बनाए गए हैं और क्रू के 1700 से ज्यादा सदस्यों के लिए 2300 कंपार्टमेंट्स हैं. आईएनएस विक्रांत की खासियत है कि इसमें महिला अधिकारियों के लिए अलग से केबिन बनाए गए हैं. साथ ही इसमें ICU से लेकर चिकित्सा से जुड़ी सभी सेवाएं मौजूद हैं.
फुजियान के मुकाबले इतना है INS विक्रांत का वजन
भारतीय आईएनएस विक्रांत का वजन करीब 40 हजार टन है, जो चीन के फुजियान के तुलना में आधी है. समुद्र में इसकी अधिकतम गति 28 नॉट्स/घंटे तक है. यानी यह करीब 51 किमी/घंटा की रफ्तार से समुद्र में चल सकता है. वैसे इसकी सामान्य गति 18 नॉट्स यानी करीब 33 किमी/घंटा तक है. यह एक बार में 7500 नॉटिकल मील (13,000 हजार किलोमीटर से ज्यादा) की दूरी तय कर सकता है.
INS विक्रांत में एक बार में 30 लड़ाकू विमान को ले जाने की क्षमता है. इनमें Mig-29 के फाइटर जेट्स, कामोव-31 अर्ली वॉर्निंग हेलिकॉप्टर, MH-60 आर सीहॉक मल्टीरोल हेलिकॉप्टर और एचएएल का एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर भी शामिल हैं. नेवी के लिए निर्मित स्वदेशी लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट एलसीए तेजस भी INS विक्रांत से आसानी से उड़ सकता है. इसके इंजन 1.10 लाख हॉर्सपॉवर के हैं.
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