न गर्म कपड़े, न कंबल…गाजा में ठंड से लोगों का जीना मुश्किल, UN ने जताई चिंता

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Gaza Winter Crisis: युद्धग्रस्‍त गाजा में एक बार फिर सर्दी लौट आई है. हमास और इजरायल के बीच 14 महीने से जारी युद्ध के कारण विस्थापित हुए लगभग 20 लाख लोग खुद को हवा, ठंड और बारिश से बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. टेंटों में शरण लिए गाजावासी ठंड से बीमारियों और मौत के डर में हैं. वहीं यूएन ने टेंट में रह रहे लोगों के लिए चेतावनी दी है कि इस सर्दी में इन लोगों का जिंदा रहा मुश्किल है.

कंबलों और गर्म कपड़ों की कमी

सहायता कर्मियों और निवासियों के मुताबिक, कंबलों और गर्म कपड़ों की कमी है, अलाव के लिए लकड़ी की कमी है. जिन तंबुओं व तिरपालों में लोग रह रहे हैं, वे महीनों से इस्‍तेमाल होने के वजह से बहुत ही खस्ताहाल हो गए हैं. दक्षिणी शहर रफह से विस्थापित हुईं शादिया अयादा ने बताया न्‍यूज एजेंसी एपी को बताया कि उनके पास अपने आठ बच्चों को जर्जर तंबू के अंदर ठंड से बचाने के लिए केवल एक कंबल और एक गर्म पानी की बोतल है.

लोगों में ठंडी से डर का माहौल

अयादा ने बताया कि जब भी हमें पता चलता है कि बारिश और तेज हवा का पूर्वानुमान है, तो हम डर जाते हैं क्योंकि हमारे टेंट हवा से उड़ जाते हैं. रात में तापमान आमतौर पर 5 से 10 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है. शादिया अयादा को डर है कि उनके बच्चे गर्म कपड़ों के बगैर बीमार हो जाएंगे.

बच्चों को गोद में लेकर सोने को मजबूर

शादिया अयादा ने कहा कि इजरायली हमले के बाद जब वे अपना घर छोड़कर भागे थे, तो उनके बच्चों के पास केवल गर्मियों के कपड़े थे. उन्होंने बताया कि उन्हें रिश्तेदारों और दोस्तों से कुछ गर्म कपड़े लिए है. उत्तरी गाजा से अपने परिवार के साथ विस्थापित हुईं 50 साल के रिदा अबू जरादा ने बताया कि लोग टेंट के अंदर बच्चों को ठंडी से बचाने के लिए लोग उन्‍हें गोद में लेकर सोते हैं.

यून ने दी चेतावनी

वहीं संयुक्त राष्ट्र ने तंबू में रह रहे लोगों के लिए चेतावनी दी है कि ठंड में इजाफा और दवाएं व मूलभूतसुविधाएं न मिलने से शायद लोग सर्दी में जीवित न बचें. यूएन ने मंगलवार को बताया था कि कम से कम 9,45,000 लोगों को सर्दी से जुड़े सामान की जरूरत है, जो गाजा में काफी महंगी हो गई है. UN एजेंसी के प्रवक्ता लुईस वाटरिज ने कहा, UNRWA गाजा में सर्दियों के लिए काम कर रही है, मगर इस क्षेत्र में जो सहायता मिल पाई है, वो लोगों के लिए अपर्याप्त है.

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