Germany Labour Shortages: इस वक्त जर्मनी श्रम संकट की समस्या से जुझ रहा है. वहां काम करने के लिए योग्य कामगार नहीं मिल पा रहे है. ऐसे में इस संकट से उबरने के लिए जर्मनी भारत से उम्मीद लगाएं बैठा है. जर्मनी सरकार का मानना है कि भारत उसे इस संकट से बाहर निकाल सकता है. इसके लिए उसने एक योजना भी बनाई है.
जर्मनी की सरकार इस योजना के तहत देश में श्रम की कमी से निपटने के लिए भारतीय कामगारों को अधिक नियुक्ति देना चाहती है. इसे लेकर लेबर मिनिस्टर ह्यूबर्टस हील ने कहा कि देश में कुशल श्रम की जरूरत को पूरा करने के लिए सभी तरह की कोशिशे की जा रही है. इसी के तहत अब एक नई योजना पर काम किया जा रहा है, जिसके तहत भारत से बड़ी संख्या में कुशल श्रमिकों को नियुक्त की जाएगी.
भारतीय छात्रों से की बातचीत
जर्मनी मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लेबर मिनिस्टर ह्यूबर्टस हील ने बर्लिन की यूनिवर्सिटी में भारतीय छात्रों के साथ बातचीत भी की. उन्होंने कहा कि इस संबंध में कई अधिकारी काम कर रहे हैं और जल्द ही इस मामले को लेकर दोनो देशों में बातचीत भी शुरू होने वाली है. भारतीय छात्रों से बातचीत के दौरान हील ने जर्मनी के श्रम बाजार की चुनौतियों की भी जानकारी दी.
70 लाख श्रमिकों की है जरूरत
इस दौरान लेबर मिनिस्टर ने कहा कि जर्मनी में आगे कुशल कामगारों के लिए दरवाजे खुले रहेंगे. साथ ही उन्होंने इंस्टीट्यूट फॉर एम्प्लॉयमेंट रिसर्च की रिपोर्ट का जिक्र करते हुए कहा कि जर्मनी को 2035 तक करीब 70 लाख मजदूरों की जरूरत होगी. इससे पूरी तरह से स्पष्ट हो रहा है कि इस समय जर्मनी 70 से अधिक व्यवसायों में श्रमिकों की कमी का सामना कर रहा है.
मिलेंगी ये सुविधाएं
श्रम संकटों से जूझ रहे जर्मनी में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में परिवहन, विनिर्माण, निर्माण, स्वास्थ्य सेवा, इंजीनियरिंग और आईटी हैं. वहीं, हाल ही में कई बदलाओं के कारण यहां श्रमिकों का आसान हुआ है. लेबर मिनिस्टर ने बताया कि ईयू ब्लू कार्ड वाले विदेशी श्रमिकों को तीन साल तक रहने की क्षमता के साथ देश में काम करने की अनुमति भी मिलने के साथ ही और भी कई सुविधाएं देने की तैयारी की जा रही है.
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