Golden Dome: इन दिनों कई देशों के बीच जंग छिड़ी हुई. वो लगातार एक दूसरे पर हमले कर रहे है. ऐसे में अमेरिका एक ऐसा मिसाइल डिफेंस सिस्टम बनाना चाहता है, जो देश पर होने वाले किसी भी हमले को रोकने में सक्षम हो.
हालांकि ट्रंप के इस ड्रीम प्रोजेक्ट में कई सौ अरब डॉलर खर्च हो सकते हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति ने इस प्रोजेक्ट की की जिम्मेदारी दुनिया के सबसे अमीर कारोबारी एलन मस्क को दी गई है. बता दें कि इस प्रोजेक्ट को साइन करते हुए ट्रंप ने एक सरकारी आदेश पर साइन करते हुए कहा है कि मिसाइल हमले अमेरिका के लिए सबसे बड़ा खतरा हैं. यही वजह है कि अमेरिका ने खुद को बचाने के लिए यह एडवांस सिस्टम बनाने का फैसला किया है.
ट्रंप को पसंद है इजरायल का आयरन डोम
दरअसल, अमेरिकी राष्ट्रपति लंबे समय से इज़राइल के एयर डिफेंस सिस्टम ‘आयरन डोम’ के बड़े फैन रहे हैं. ऐसे में उन्होंने अपने नए मिसाइल डिफेंस सिस्टम का नाम भी ‘आयरन डोम’ जैसा रखने की बात कही थी, जिसके बाद अधिकारियों ने बताया कि नाम को लेकर कॉपीराइट और पेटेंट की दिक्कत आ सकती है. ऐसे में अब इस नए सिस्टम का आयरन डोम से अलग अपनी तरह का अनोखा सिस्टम होगा.
जानें क्या है अमेरिका का गोल्डेन डोम प्रोग्राम
रिपोर्ट के अनुसार, एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स को ‘गोल्डेन डोम’ बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिल गया है. इस प्रोजेक्ट में स्पेसएक्स के साथ दो और कंपनियां-पलांटिर (जो सॉफ्टवेयर बनाती है) और एंडुरिल (जो ड्रोन बनाती है) मिलकर काम करेंगी. गोल्डेन डोम अब तक बनी किसी भी टेक्नोलॉजी से बहुत अलग और काफी एडवांस होगा, जिसकी रेंज इतनी ज्यादा होगी कि अभी तक दुनिया में कोई मिसाइल इतनी दूरी तक नहीं जा सकती.
स्पेसएक्स बनाएंगी 1000 से अधिक सैटेलाइट्स
मस्क की कंपनी इस सिस्टम को कुछ इस तरह से तैयार कर रही है कि यह हाइपरसोनिक मिसाइलों, एक साथ आने वाले ड्रोन के हमलों (ड्रोन स्वॉर्म्स) और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से जुड़े किसी भी खतरे से अमेरिका की सुरक्षा कर सके. ऐसे में इस प्रोजेक्ट के तहत मस्क की कंपनी स्पेसएक्स 1000 से अधिक सैटेलाइट्स बनाएगी, जिनका काम धरती के चारों तरफ घूमते हुए यह निगरानी रखना कि कहीं कोई खतरा अमेरिका की तरफ तो नहीं बढ़ रहा.
दुश्मनों को हवा में ही मार गिराएगा गोल्डन डोम
ऐसे में यदि कोई खतरा नजर आता है, तो ये सैटेलाइट्स तुरंत उसे पहचान लेंगे और उस पर हमला कर उसे नष्ट कर दिया जाएगा.वहीं, 200 ऐसे सैटेलाइट्स भी होंगे जो मिसाइलों और लेजर से लैस होंगे. इनका काम दुश्मनों की मिसाइलों को हवा में ही मार गिराना होगा. अर्थात अमेरिका पर ऊपर से कोई भी मिसाइल हमला करना लगभग नामुमकिन हो जाएगा.
2030 तक होगा तैयार
‘गोल्डेन डोम’ सिस्टम को लेकर पेंटागन ने यह तय किया है कि यह प्रोजेक्ट साल 2030 से पहले तैयार हो जाना चाहिए. वहीं, स्पेसएक्स ने अनुमान लगाया है कि सैटेलाइट्स के “कस्टडी लेयर” यानी निगरानी करने वाले हिस्से की शुरुआती इंजीनियरिंग और डिजाइन पर ही करीब 6 से 10 अरब डॉलर तक खर्च आ सकता है.
कैसे काम करेगा गोल्डेन डोम?
लेजर हथियार: गोल्डेन डोम में ऐसे खास लेज़र हथियार होंगे, जो रौशनी की स्पीड से उड़ती मिसाइलों और ड्रोनों को तुरंत निशाना बनाकर गिरा देंगे.
AI से चलने वाला सेंसर नेटवर्क: इसमें एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सेंसर सिस्टम होगा, जो चारों तरफ से खतरे को पहचान सकेगा.
मल्टी-लेयर इंटरसेप्टर्स: इसमें अलग-अलग लेवल के डिफेंस होंगे, जो छोटी, मीडियम और लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने का काम करेंगे.
स्पेस-बेस्ड अलर्ट सिस्टम: अंतरिक्ष में मौजूद सिस्टम किसी भी खतरे को पहले ही पहचान लेगा और अमेरिका को चेतावनी देगा.
सबसे पहले इन जगहों पर तैनाती: शुरुआत में इस सिस्टम को व्हाइट हाउस, पेंटागन और अमेरिका की जरूरी और संवेदनशील जगहों की सुरक्षा के लिए लगाया जाएगा.
अन्य देशों के साथ साझेदारी: अमेरिका भविष्य में इसका एडवांस वर्जन नाटो देशों, इजरायल, जापान और शायद भारत के साथ भी शेयर कर सकता है.
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