Hajj Yatra 2024: हज इस्लाम के पांच स्तंभों में से एक है. इस्लाम के इस पवित्र स्थल पर हर मुस्लिम अपनी लाइफ में एक बार अवश्य जाना चाहते हैं. यही वजह है कि हज यात्रा के दौरान मक्का में भारी भीड़ होती है. इस दौरान दुनिया के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं. एक साथ भारी भीड़ इकठ्ठा होने की वजह से कई यात्रियों की मौत हो जाती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हज करने गए यात्रियों की यदि वहां किसी कारणवश मौत हो जाती है तो उनके शव को वापस भेजने की इजाजत नहीं दी जाती है, बल्कि मृतकों को वहीं, दफना दिया जाता है.
सऊदी सरकार ने बनाया है नियम
दरअसल, यह नियम सऊदी अरब सरकार की ओर से खुद बनाया गया है. इस नियम के तहत अगर किसी हज यात्री की मौत हो जाती है, तो परिवारजन अपने देश वापस नहीं ला सकते. उनके शव को वहां के सरकारी तंत्र द्वारा उसे वहीं अलग-अलग कब्रिस्तानों में दफन कर दिया जाता है. इस दौरान सऊदी अरब प्राधिकरण द्वारा मृतक के परिवारजन या रिश्तेदार को मौत का सर्टीफिकेट भी उपलब्ध करवा दिया जाता है.
जानिए क्या है मान्यता?
बता दें कि अगर हज यात्रा के दौरान किसी यात्री की मौत होती है तो मुअल्लिम संबंधित देशों के कॉन्सुलेट को सूचित करता है. उसके माध्यम से परिवारजनों को सूचना पहुंचती है और उन्हें मौत का प्रमाण पत्र भी दे दिया जाता है. यहां मरने वाले मुस्लमानों को मदीना में स्थित “जन्नत-उल-बकी” नामक कब्रिस्तान में दफनाया जाता है. इस्लाम में ऐसी मान्यता है कि मक्का में ही मोहम्मद साहब भी दफन किए गए हैं. इसलिए जो जन्नत-उल-बकी में जो दफन होगा, उसे जन्नत नसीब होगी. इस्लामिक मान्यता है के चलते हर हाजी और उसके परिवार के लोग यही चाहते हैं कि यदि यात्रा के दौरान उनकी मौत हो गई तो उसे वहीं मक्का-मदीना में दफन कर दिया जाए.
सऊदी सरकार ने क्यों बनाई ये नियम
ज्ञात हो कि हर साल हज यात्रा के दौरान 20 लाख के करीब यात्री मक्का पहुंचते हैं. इसमें अधिकत्तर यात्री दूसरे देश के होते हैं. हज के दौरान यदि मृतकों के शव को लौटाने की प्रक्रिया शुरू की जाए, तो इसमें बहुत अधिक समय लग जाएगा. इससे मक्का में हज संबंधी और व्यवस्थाएं भी बेपटरी हो जाएंगी. इसलिए सऊदी सरकार ने मृतकों के शव को वापस नहीं ले जा सकने का नियम बनाया है. इसके अलावा मृतक का परिवारजन भी नहीं चाहेगा कि मक्का में मौत होने पर वह अपनों के शव को वापस मंगाए.