असोज अमावस्या की वजह से बदल गई हरियाणा इलेक्शन की डेट, जानिए इसका इतिहास और महत्व

Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Abhinav Tripathi
Abhinav Tripathi
Sub Editor, The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Haryana Vidhan Sabha Election: भारतीय निर्वाचन आयोग ने हरियाणा में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों में फेरबदल किया है. चुनाव को लेकर तैयारियों में कोई कमी राजनीतिक दलों द्वारा नहीं की जा रही है. इस बीच शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग ने चुनावी तारीख को आगे बढ़ा दिया. चुनाव आयोग ने वोटिंग तिथि में बदलाव की वजह असोज अमावस्या को बताया गया है. परिर्वतित तिथि के अनुसार 01 अक्टूबर की बजाय अब चुनाव 05 अक्टूबर को होंगे. सभी 90 विभानसभा सीटों पर एक साथ एक दिन चुनाव होंगे. वहीं, नतीजे 08 अक्टूबर को आएंगे. जम्मू कश्मीर में होने वाले विधानसभा चुनाव के नतीजे भी अब 08 अक्टूबर को ही आएंगे.

दरअसल, असोज अमावस्या के कारण हरियाणा विधानसभा तारीखों में फेरबल किया गया है. आइए आपको बताते हैं कि असोज अमावस्या क्या है और इसका महत्व हरियाणा में कितना है. आइए जानते हैं क्या है असोज अमावस्या का इतिहास और कब लगेगा मेला?

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा बीकानेर (राजस्थान) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनाव आयोग को एक ज्ञापन दिया था. इस ज्ञापन में बताया गया कि 2 अक्टूबर को ‘आसोज अमावस’ है. इस खास दिन पर हरियाणा ही नहीं, पंजाब और राजस्थान से भी बड़ी तादाद में बिश्नोई समुदाय के लोग गुरु जम्बेश्वर की याद में असोज अमावस पर राजस्थान में अपने पैतृक गांव मुकाम आते हैं. इस स्थिति में अमावस पर राजस्थान जाने वाले लोग अपना मताधिकार नहीं कर पाएंगे.

जानिए क्या है असोज अमावस्या

जानकारी दें कि असोज अमावस्या विश्नोई समाज के प्रमुख त्योहारों में से एक है. इस खास त्योहार को लोग परिवार के साथ मनाते हैं. यह पर्व बिश्नोई समाज के संस्थापक गुरु जम्बेश्वर की याद में मनाया जाता है. माना जाता है कि राजस्थान के बीकानेर में मुकाम नामक गांव में ही गुरु जम्बेश्वर को समाधि दी गई थी. इस खास स्थान को मुक्ति धाम के नाम से जाना जाता है. विश्नोई समाज का कहना है कि निष्काम भाव से सेवा करने वालों को मोक्ष प्राप्त हो जाता है.

साल भर में लगते हैं 2 मेले

आपको बता दें कि मुकाम मंदिर में हर साल दो मेले लगते हैं. इसमें पहला फाल्गुल अमावस्या पर दूसरा आसोज अमावस के दिन. माना जाता है कि फाल्गुन अमावस्या पर मेले का आयोजन सदियों से चला आ रहा है. आसोज अमावस का मेला संत विल्होजी ने 1591 ई. में शुरू किया था. इस मेले की खासियत है कि इसकी पूरी व्यवस्था अखिल भारतीय बिश्नोई महासभा एवं अखिल भारतीय गुरु जम्बेश्वर सेवक दल द्वारा होती है.

Latest News

डिजिटल पेमेंट में वर्ल्ड लीडर बन रहा भारत, RBI के डिप्टी गवर्नर बोले-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेजी से फैल रहा UPI

UPI network: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूपीआई नेटवर्क का लगातार विस्‍तार हो रहा है, जिससे भारत डिजिटल पेमेंट टेक्नोलॉजी में...

More Articles Like This