Henley Passport Index 2024: दक्षिण एशियाई पासपोर्ट बेहद कमजोर, फिसड्डी देशों में भारत के दो पड़ोसी, जानिए सबसे ताकतवर कौन?

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Henley Passport Index 2024: हेनली पॉसपोर्ट इंडेक्स 2024 की सूची जारी हो गयी है जिसमें पिछले पांच वर्षों में परंपरागत रूप से नंबर एक स्थान पर जापान और सिंगापुर का दबदबा रहा है, लेकिन हालिया रैंकिंग एक उल्लेखनीय बदलाव दिखाती है, जिसमें एशिया के दो देशो के साथ चार यूरोपीय देशो ने पहले स्थान पर अपनी जगह बना ली है.

कौन से देश रहे पहले तीन स्थानों पर?

छह शीर्ष रैंक वाले देश, यूरोप से फ्रांस, जर्मनी, इटली और स्पेन हैं. जबकि एशिया के दो देश, सिंगापुर और जापान, पिछले पांच वर्षों से दुनिया के सबसे शक्तिशाली यात्रा दस्तावेजों का दावा कर रहे हैं, जिससे उनके नागरिकों को यात्रा दस्तावेजों की तुलना करने की अनुमति मिलती है. रैंकिंग के अनुसार, इन देशों को 194 वैश्विक गंतव्यों में वीज़ा-मुक्त प्रवेश दिया गया है. दक्षिण कोरिया, स्वीडन और फ़िनलैंड सभी 193 देशों तक पहुंच के साथ एक स्थान ऊपर दूसरे स्थान पर पहुंच गए, और ऑस्ट्रिया, डेनमार्क, आयरलैंड और नीदरलैंड 192 देशों तक पहुंच के साथ तीसरे स्थान पर पहुँचे.

भारत रहा इस स्थान पर

2024 के लिए दुनिया के सबसे शक्तिशाली पासपोर्ट की सूची में भारतीय पासपोर्ट 80वें स्थान पर है, जिसमें नागरिकों को बिना वीजा के 62 देशों की यात्रा करने की अनुमति है. बता दें कि साल 2023 में भारत इस लिस्‍ट में 83वें स्‍थान पर था. भारत अपनी वर्तमान रैंक उज्बेकिस्तान के साथ साझा करता है.

सबसे नीचे कौन?

सबसे निचले पांच पायदान पर अफगानिस्तान (28 देशों में वीजा फ्री एंट्री), सीरिया (29 जगह वीजा फ्री), इराक (31 जगह वीजा फ्री), पाकिस्तान (34 जगह वीजा फ्री) और यमन (35 जगह वीजा फ्री) हैं. मतलब 5 सबसे फिसड्डी देशों में 2 भारत के पड़ोसी और दक्षिण एशियाई देश हैं.

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स 2024

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स दुनिया के सभी पासपोर्टो की मूल, आधिकारिक रैंकिंग है, जो उन गंतव्यों की संख्या के अनुसार है, जहाँ उनके धारक बिना पूर्व वीजा के पहुँच सकते है. सूचकांक में 199 विभिन्न पासपोर्ट और 227 विभिन्न यात्रा गंतव्य शामिल है. हेनले एंड पार्टनर्स के अध्यक्ष क्रिश्चियन एच केलिन ने कहा, “यात्रियों द्वारा वीज़ा-मुक्त गंतव्यों तक पहुंचने की औसत संख्या 2006 में 58 से लगभग दोगुनी होकर 2024 में 111 हो गई है.”

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