House Republicans Report: अमेरिका के हाउस रिपब्लिकन ने रविवार को अफगानिस्तान से अमेरिकी वापसी की अपनी जांच पर एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में अमेरिका को सबसे लंबे युद्ध के विनाशकारी अंत का आरोप मौजूदा समय के राष्टपति जो बाइडन पर लगाया गया है. साथ ही पूर्व राष्ट्रपति के भूमिका को कम करके आंका गया है.
दरअसल, पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान के साथ वापसी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. यह पक्षपातपूर्ण समीक्षा पूर्व राष्ट्रपति के फरवरी 2020 के वापसी समझौते के बाद सैन्य और नागरिक विफलताओं के आखिरी महीने को बताती है, जिसने अमेरिका के कट्टरपंथी तालिबान दुश्मन को 30 अगस्त, 2021 को अंतिम अमेरिकी अधिकारियों के उड़ान भरने से पहले ही पूरे देश में घुसने और जीतने की इजाजत दी.
बाइडन सरकार ने दिखावे को दी प्राथमिकता
रिपोर्ट कें मुताबिक, अराजक वापसी ने कई अमेरिकी नागरिकों, महिला कार्यकर्ताओं, अफगान युद्ध के मैदान के सहयोगियों और अन्य लोगों को तालिबान से खतरे में डाल दिया था. ऐसे में हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी के अध्यक्ष के के रूप में जांच का नेतृत्व करने वाले आफटेक्सास रिपब्लिकन प्रतिनिधि माइकल मैककॉल ने कहा कि जीओपी समीक्षा से पता चलता है कि बाइडन प्रशासन के पास अफगान सरकार के अपरिहार्य पतन की योजना बनाने के लिए जरूरी जानकारी होने के साथ अवसर भी था, जिससे कि हम अमेरिकी नागरिकों, कर्मचारियों, ग्रीन कार्ड धारकों और हमारे बहादुर अफगान सहयोगियों को सुरक्षित रूप से निकाल सकें. वहीं, बाइडन प्रशासन ने हर कदम पर सुरक्षा के बजाय दिखावे को प्राथमिकता दी.
रिपोर्ट चुने हुए तथ्यों और पूर्वाग्रहों पर आधारित
हालांकि, व्हाइट हाउस के प्रवक्ता शेरोन यांग का कहना है कि रिपब्लिकन रिपोर्ट चुने हुए तथ्यों, गलत चरित्र चित्रण और पहले से मौजूद पूर्वाग्रहों पर आधारित है. उन्होंने कहा कि पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप ने मई 2021 तक अफ़गानिस्तान से बाहर निकलने के लिए तालिबान के साथ जो खराब सौदा किया था और यही वजह है कि राष्ट्रपति जो बाइडन को एक अस्थिर स्थिति विरासत में मिली. ऐसे में उनके पास सिर्फ दो ही ऑप्शन थे. पहला या तो मजबूत तालिबान के खिलाफ अमेरिकी युद्ध को आगे बढ़ाएं, या इसे समाप्त करें.
सीनियर अफसरों की चेतावनी को किया गया नजरअंदाज
आपको बता दें कि हाउस फॉरेन अफेयर्स कमेटी में रिपब्लिकन की ओर से 18 महीने से अधिक की जांच की गई. इसके बाद रिपोर्ट जारी कर कहा गया कि बाइडन और उनके प्रशासन ने उच्च पदस्थ अधिकारियों को कमतर आंका और चेतावनियों को नजरअंदाज किया. उन्होंने बता कि धीरे-धीरे तालिबान अफगान के इलाकों पर कब्जा करता गया और उसने अफगान सरकार और सेना को उखाड़ फेंका, जिसे अमेरिका ने देश को फिर से पश्चिमी-विरोधी चरमपंथियों का अड्डा बनने से रोकने की संभावना करीब 20 साल और खरबों डॉलर खर्च करके बनाया था.
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