ICC Champions Trophy: इस समय पाकिस्तान में आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 खेला जा रहा है, जिसमें भारत समेत 8 टीमें भाग ले रही हैं. हालांकि, भारत ने पाकिस्तान में खेलने से इंकार दिया, जिसके बाद उसके दुबई में खेलने का फैसला किया गया है. इसी दौरान पाकिस्तान में आतंकी भी सक्रिय हो गए हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, पाकिस्तान के खुफिया ब्यूरो ने इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) से संभावित खतरे के बारे में चेतावनी जारी की है. इस दौरान दावा किया गया है कि आतंकी संगठन फिरौती के लिए आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी 2025 में भाग लेने वाले विदेशियों का अपहरण करने की योजना बना रहा है.
इन देशों के नागरिकों को बना रहा निशाना
दावा किया जा रहा है कि आतंकवादी संगठन विशेष रूप से चीनी और अरब नागरिकों को निशाना बना रहा है. इसके साथ ही बंदरगाहों, हवाई अड्डों, कार्यालयों और इन देशों के आगंतुकों द्वारा अक्सर इस्तेमाल किए जाने वाले आवासीय क्षेत्रों पर निगरानी कर रहा है.
खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक, आईएसकेपी के कार्यकर्ता शहरों के बाहरी इलाकों में संपत्तियों को सुरक्षित घरों के रूप में किराए पर देने की योजना बना रहे हैं, जानबूझकर कैमरे की निगरानी के बिना स्थानों का चयन करते हैं, जहां केवल रिक्शा या मोटरसाइकिल द्वारा पहुंचा जा सके. समूह का मकसद सुरक्षा बलों से बचने के लिए अपहृत व्यक्तियों को रात की आड़ में सुरक्षित घरों के बीच ले जाने का है.
पहले भी देश पर लगाए जा चुके है ये आरोप
यह चेतावनी ऐसे में समय में सामने आई है, जब पाकिस्तान प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आयोजनों को सुरक्षित करने की अपनी क्षमता के बारे में बढ़ती चिंताओं का सामना कर रहा है. वहीं, इससे पहले देश पर विदेशी नागरिकों पर हमलों को कम करने का आरोप लगाया गया है. दरअसल, 2024 में शांगला में चीनी इंजीनियरों पर हमला और 2009 में लाहौर में श्रीलंकाई क्रिकेट टीम पर हमले जैसी घटनाओं ने इसकी सुरक्षा तैयारियों पर संदेह पैदा कर दिया है.
जीडीआई ने अधिकारियों को किया सर्तक
ऐसे में ही अफगानिस्तान की खुफिया एजेंसी (जीडीआई) ने भी अधिकारियों को प्रमुख स्थानों पर संभावित आईएसकेपी हमलों के बारे में सतर्क किया है और समूह से जुड़े लापता कार्यकर्ताओं को ट्रैक करने के प्रयास तेज कर दिए हैं.
समूह ने की तालिबान की आलोचना
वहीं, साल 2024 में ISKP से संबद्ध अल अज़ैम मीडिया ने एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दावा किया गया कि क्रिकेट मुसलमानों के खिलाफ बौद्धिक युद्ध का एक पश्चिमी उपकरण है. समूह ने तर्क दिया कि यह खेल इस्लाम की जिहादी विचारधारा के विपरीत, राष्ट्रवाद और प्रचार को बढ़ावा देता है. साथ ही उन्होंने अफगानिस्तान क्रिकेट टीम का समर्थन करने के लिए तालिबान की भी आलोचना की थी.
इसे भी पढें:-शेख हसीना के बाद अब यूनुस के खिलाफ छात्रों का आंदोलन, 14 लड़कियों ने की आत्महत्या; उठी इस्तीफे की मांग