Mexico: हाल ही में मेक्सिको में 14 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का मामला सामने आया है. वहीं छह मरीजों को इलाज चल रहा है. सभी बच्चों की मौत अस्पताल में ही हुई है. गुरुवार को अधिकारियों ने बताया कि उन्हें संदेह है कि दूषित आईवी फीडिंग बैग इस्तेमाल करने के कारण बच्चों की मौत हुई.
सुरक्षा के तहत कदम उठाते हुए और आगे बच्चों की इस वजह से मौत न हो इसी के चलते स्वास्थ्य विभाग ने देश भर के डॉक्टरों को प्रोडक्टोस हॉस्पिटलारियोस एस.ए. डी. सी.वी. कंपनी के बनाए गए आईवी पोषण बैग (IV Nutrition Bags) का इस्तेमाल न करने का आदेश दिया. हालांकि, कैसे बच्चे संक्रमित हुए इसके लिए अभी भी जांच चल रही है.
13 बच्चों की मौत , 6 का इलाज जारी
सभी मामलों में क्लेबसिएला ऑक्सीटोका, एक मल्टीड्रग-प्रतिरोधी बैक्टीरिया के तौर पर यह सामने आया. यह बैक्टीरिया नवंबर में पहली बार मेक्सिको सिटी के बाहरी इलाके में मेक्सिको राज्य के 3 सरकारी अस्पतालों और एक प्राइवेट अस्पताल में पता चला था.
विभाग ने बताया कि ऐसा प्रतीत होता है कि बच्चों की मौत बल्डस्ट्रम इंफेक्शन से हुई है. अब तक के 20 मामले में से एक केस में बैक्टीरिया को खारिज कर दिया गया. 4 मामले में बैक्टीरिया के होने का संदेह हुआ है, वहीं 15 मामले में बैक्टीरिया के होने की पुष्टि की गई है. हालांकि, कुल 19 मरीजों में से 13 बच्चों की जान चली गई और 6 का इलाज चल रहा है.
राष्ट्रपति ने बताया सार्वजनिक झटका
इस मामले पर मेक्सिको के राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने गुरुवार को कहा कि स्वास्थ्य अधिकारियों ने मुझे कल एक मामले के बारे में बताया, लेकिन मान लीजिए, यह कंट्रोल में है. यह मेक्सिको के स्वास्थ्यचर्या प्रणाली के लिए सार्वजनिक झटका था.
पहले भी सामने आए ऐसे मामले
मेक्सिको कई सालों से दूषित मेडिकल आपूर्ति के घोटालों से त्रस्त रहा है. पिछले साल अधिकारियों ने एक एनेस्थेसियोलॉजिस्ट को अरेस्ट किया था, जिसे उन्होंने मेनिनजाइटिस के इंफेक्शन के लिए दोषी ठहराया था, जिसमें 35 मरीजों की जान चली गई थी और 79 लोग बीमार पड़ गए थे. इससे पहले भी साल 2020 में, मेक्सिको की सरकारी स्वामित्व वाली तेल कंपनी के एक अस्पताल में डायलिसिस के मरीजों को बैक्टीरिया से दूषित दवा देने से 14 लोगों की जान चली गई थी. वहीं इस इंफेक्शन से 69 से अधिक मरीज बीमार पड़ गए थे.
ये भी पढ़ें :- अक्टूबर 2024 तक 47% बढ़ोतरी के साथ NBFCs के म्यूचुअल फंड्स का वित्तपोषण 2.33 ट्रिलियन रुपये हुआ