India-America: अमेरिका ने टैरिफ के साथ ही अब भारत की आंतरिक नीतियों पर भी सवाल खड़े करना शुरू कर दिया है, लेकिन भारत भी किसी से कम नहीं है, उसने इस बार ऐसा जवाब दिया है कि अमेरिकी वाणिज्य मंत्री की बोलती बंद हो गई.
दरअसल हाल ही में अमेरिका के ट्रेड ऑफिस (यूएस ट्रेड रिप्रजेंटेटिव) ने 2025 ट्रेड एस्टिमेट रिपोर्ट जारी की है, जिसमें उन्होंने भारत की कई नीतियों को ट्रेड बैरियर कहा है. इसके साथ ही भारत के तीन पॉलिसी को भी टारगेट किया गया है, जिसमें मेक इन इंडिया,पीएलआई स्कीम, डिफेंस इंडीजनाइजेशन,ऑफसेट पॉलिसी और डेटा लोकलाइजेशन के प्रयास शामिल हैं.
भारत ने अमेरिका पर किया सीधा प्रहार
बता दें अमेरिका का कहना है कि ये नीतियां अमेरिकी कंपनियों के लिए नुकसान दायक हैं. भारत अपने मार्केट को जानबूझकर बाहरी कंपनियों से बचा रहा है. ऐसे में इस बार भारत ने कोई सफाई नहीं दी है, बल्कि सीधा प्रहार किया. भारत के टॉप ट्रेड निगोशिएटर्स ने अमेरिकी आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि मेक इन इंडिया और पीएलआई स्कीम्स भारत की घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए जरूरी है. इससे टेक्नोलॉजी ट्रांसफर और जॉब क्रिएशन होता है. अमेरिका खुद अपनी कंपनियों को सब्सिडी और टैक्स छूट देता है. तो भारत के प्रयासों पर सवाल उठाना दोहरा मापदंड है.
भारत की डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर अमेरिका को आपत्ति
सूत्रों के मुताबिक, अमेरिका ने भारत की डिफेंस ऑफसेट पॉलिसी पर भी आपत्ति जताई है. जिसमें विदेशी कंपनियों को 30 प्रतिशत लोकल प्रोक्योरमेंट करना होता है. ऐसे में भारत का जवाब बिल्कुल स्पष्ट था कि डिफेंस सेक्टर में आत्मनिर्भरता आज की सबसे बड़ी जरूरत है. जब अमेरिका खुद बोइंग और लॉग्डि मार्टिन को घरेलू सप्लायर से डील करने को कहता है तो फिर इस पॉलिसी पर आपत्ति क्यों?
देश की नेशनल सिक्योरिटी और संप्रभुता से बड़ा कुछ नहीं
दरअसल अमेरिका ने भारत के डेटा लोकलाइजेशन प्रयासों को डिजिटल ट्रेड के लिए बाधा बताया, जिसपर भारत ने स्पष्ट किया कि हमारे देश की नेशनल सिक्योरिटी और संप्रभुता से बड़ा कुछ नहीं. उन्होंने कहा कि पेमेंट और यूजर डेटा का बाहर जाना भारत को खतरे में डाल सकता है. ऐसे में अमेरिका को ये समझना होगा कि डेटा नई सदी का ऑयल है.
भारत की अमेरिका को दो टूक
इसके अलावा, यूएस के भारत के क्वालिटी कंट्रोल ऑर्डर्स के सवाल पर ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्स ने अमेरिका को दो टूक कहा कि क्वालिटी चेक हर देश करता है और भारत भी उसी रास्ते पर है. कुछ अमेरिकी ई कार्मर्स वेयर हाउस पर रेड भी हुई हैं क्योंकि उन्होंने सर्टिफिकेशन फॉलो नहीं किया.
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