Voice of Global South Summit: तीसरे ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन में पीएम मोदी ने आज हिस्सा लिया. भारत ने इस सम्मेलन की मेजबानी की. पहला मौका है जब भारत ने इस मौके पर डिजिटल रूप से सम्मेलन की मेजबानी की. बता दें कि ग्लोबल साउथ की आवाज के रूप में भारत ने एक बार फिर उपेक्षित देशों की मूल समस्याओं को दुनिया के सामने रखा है. भारत की वजह से ग्लोबल साउथ के देशों में भारत के प्रति विश्वास और अधिक मजबूत हुआ है. इस सम्मेलन में पीएम मोदी ने एक बार फिर विकासशील देशों में विशेषकर खाद्य और ऊर्जा सुरक्षा के क्षेत्रों में वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रभावों पर चिंता व्यक्त की.
जानिए क्या बोले पीएम मोदी
बता दें इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने डिजिटली हिस्सा लिया. इस सम्मेलन में उन्होंने कहा कि आज हम ऐसे वक्त में बैठक कर रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है. दुनिया अब भी पूरी तरह से कोविड-19 के प्रभाव से बाहर नहीं आई है. दूसरी ओर, युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां पैदा कर दी है. हम न केवल जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, बल्कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा, खाद्य सुरक्षा और ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भी चिंताएं हैं. आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद हमारे समाज के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं.
कई चुनौतियां हैं आगे: पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि प्रौद्योगिकी विभाजन और प्रौद्योगिकी से जुड़ी नयी आर्थिक व सामाजिक चुनौतियां भी सामने आ रही हैं. पिछली शताब्दी में स्थापित वैश्विक शासन और वित्तीय संस्थान वर्तमान शताब्दी की चुनौतियों का सामना करने में असमर्थ हैं. ‘वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ’ सम्मेलन विकास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा करने का एक मंच बन गया है. जी20 के भारत के नेतृत्व में हमने ‘ग्लोबल साउथ’ की अपेक्षाओं, आकांक्षाओं व प्राथमिकताओं के आधार पर एजेंडा बनाया.