RIMPAC: पूरी दुनिया पर युद्ध के बादल छाए हुए हैं. एक ओर रूस-यूक्रेन तो दूसरी ओर इजराइल और हमास के बीच युद्ध जारी है. वहीं सूडान में गृह युद्ध की स्थिति है. खुद को दुनिया की ताकतवर देश मानने वाले अमेरिका और चीन का तनाव भी अपने चरम पर है. ऐसे में दुनियाभर के बड़े देशों ने अब बड़ी जंग की तैयारी में लगे हैं. अमेरिका अपने सहयोगियों के साथ प्रशांत महासागर में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय समुद्री अभ्यास कर रहा है. इस अभ्यास का नाम ‘रिम ऑफ द पैसिफिक’ (RIMPAC) है, इसमें दुनिया भर से 29 देशों की सेनाएं शामिल हो रही हैं. RIMPAC का आयोजन चीन और रूस के लिए किसी खतरे की घंटी से कम नहीं है, क्योंकि चीन के दुश्मन देश साउथ कोरिया, जापान, इसमें शामिल हैं. वहीं इस ड्रिल का हिस्सा भारत भी है.
इन देशों के सैनिक ले रहे भाग
बता दें कि RIMPAC का आयोजन हर दूसरे वर्ष होता है. 1971 में ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अमेरिका द्वारा इसकी शुरुआत की गई थी. इस ड्रिल का उद्देश्य बहुपक्षीय संबंधों को मजबूत करना और फ्री एंड ओपन इंडो-पैसिफिक को बढ़ावा देने है. इस अभ्यास की शुरुआत 27 जून से हो चुकी है. इसमें दक्षिण कोरिया, जापान और भारत की सेनाओं के साथ-साथ दक्षिण-पूर्व और दक्षिण एशिया, लैटिन अमेरिका और सात यूरोपीय देशों की सेनाएं भी भाग ले रही हैं. इस अभ्यास में इजराइली सेना भी हिस्सा ले रही है, जिसका प्रो फिलिस्तीनी संगठनों ने विरोध किया है.
25 हजार से ज्यादा सैनिक
इस अभ्यास में दुनिया भर के शक्तिशाली सेनाएं अपने जहाजों, हथियारों के साथ हिस्सा ले रही हैं. करीब 29 देश, 40 सरफेस जहाज, 3 पनडुब्बियां, 14 देशों की थल सेनाएं, 150 से ज्यादा एयरक्राफ्ट और 25 हजार से अधिक सैन्य कर्मी भाग ले रहे हैं. ये ड्रिल अमेरिका के हवाई द्वीप और उसके आसपास 2 अगस्त तक चलेगा.
मानवीय रिलीफ भी शामिल
इस अभ्यास का आयोजन न केवल जंग के लिए बल्कि मानवीय और रिलीफ ऑपरेशन के लिहाज से भी खास है. इस ड्रिल में प्राकृतिक संकट से निपटने का अभ्यास किया गया है. अमेरिका ने रीजन में अपने संबंधो को मजबूत किया है, कई नए रक्षा समझौते किए हैं और एशिया प्रशांत क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाया है.
चीन ने भी बढ़ाए सैन्य अभ्यास
मालूम हो कि हाल ही में ताइवान में नए राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही चीन ने ताइवान के आसपास अपने सैन्य अभ्यास किए हैं. साथ ही दक्षिण चीन सागर में विवादित द्वीपों और तटों पर फिलीपींस के साथ बार-बार भिड़ता रहा है. चीन के क्षेत्र में आक्रामक होने का अमेरिका सहित कई पश्चिमी देशों ने विरोध जताया हैं. विरोध के बावजूद भी चीन अभ्यास जारी रखा है.
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