कनाडा के नए प्रधानमंत्री बनेंगे मार्क कार्नी, भारत के साथ संबंधों को लेकर दिया बड़ा बयान

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

India Canada Relation: भारत और कनाडा के रिश्‍ते में कुछ कड़वाहट आ गई है, जिसके अब कनाडा की सत्तारूढ़ लिबरल पार्टी के नए नेता मार्क कार्नी ठीक करना चाहते हैं. दरअसल, 59 वर्षीय कार्नी कनाडा के अगले प्रधानमंत्री बनने वाले हैं, ऐसे में वो नई दिल्ली और ओटावा के व्यापारिक संबंधों में विविधता लाने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं.

बता दें कि लिबरल पार्टी के नेतृत्व चुनाव में मार्क कार्नी ने 85.9 फीसदी मत प्राप्‍त किए, जिसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री बनने की दौड़ पास कर ली. यह पद उन्हें जस्टिन ट्रूडो के इस्तीफे के बाद मिलेगा.

भारत के साथ व्यापारिक संबंधों पर कार्नी का रुख

वहीं, चुनाव से पहले मीडिया से बातचीत के दौरान मार्क कार्नी ने कनाडा पर अमेरिकी टैरिफ के प्रभाव पर बात का जिक्र किया. उन्‍होंने कहा कि कनाडा को समान विचारधारा वाले देशों के साथ व्यापारिक संबंधों में विविधता लानी होगी. इसके साथ ही उन्‍होंने भारत के साथ व्यापारिक अवसरों को दोबारा स्थापित करने पर जोर देते हुए कहा कि “वाणिज्यिक संबंधों के मूल में साझा मूल्यों की भावना होनी चाहिए. यदि मैं प्रधानमंत्री बनता हूं, तो मैं भारत के साथ नए संबंध बनाने के अवसर की प्रतीक्षा करूंगा.”

भारत-कनाडा व्यापार और निवेश में संभावनाएं

जानकारों के मुताबिक, मार्क कार्नी के कनाड़ा के प्रधानमंत्री बनने से भारत को अतिरिक्त लाभ मिल सकता है, क्योंकि वह ओटावा और नई दिल्ली के आर्थिक संबंधों को गहराई से समझते हैं और उनका अर्थशास्त्र और वित्त क्षेत्र में व्यापक अनुभव है. ऐसे में यदि कनाडा भारत के साथ राजनयिक और व्यापारिक संबंधों में सुधार के प्रयास करता है, तो नई दिल्ली इसका स्वागत करेगी.

इसके अलावा, कनाडा भारतीय प्रवासियों के लिए एक प्रमुख गंतव्य है, इसलिए भारत कनाडा के नए नेतृत्व से आव्रजन नियमों में संभावित प्रतिबंधों को हटाने, वीजा मानकों को आसान बनाने पर भी चर्चा कर सकता है.

भारत-कनाडा संबंधों में हालिया तनाव

दरअसल, भारत और कनाडा के संबंध सितंबर 2023 में जस्टिन ट्रूडो की ओर से लगाए गए आरोपों के बाद खराब हो गए थे. बता दें कि उन्‍होंने कहा था कि खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारतीय एजेंसियां शामिल थीं. हालांकि नई दिल्ली ने इन आरोपों को निराधार बताते हुए बार-बार खारिज किया है.

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