Trump-China tariff war: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ को बनाई गई रणनीति का असर वैश्विक बाजारों में दिखाई देने लगा है. जिससे भारत को फायदा होने की उम्मीद है. बता दें कि भारत अब इलेक्ट्रॉनिक्स जॉइंट वेंचर में चीनी कंपनियों को 10 प्रतिशत तक सीमित करने का प्लान बना रहा है.
दरअसल, ट्रंप के टैरिफ हमले से अमेरिकी बाजार में चीन के उत्पादों की कीमतें बढ़ने की संभावना है. ऐसे में चीनी कंपनियां भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए उत्सुक हैं. इस मामले में मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआईएल) चीन की हायर की भारतीय इकाई में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी के लिए प्रमुख दावेदार के रूप में उभरी है, जो कि भारत में तीसरे स्थान पर है.
ट्रंप के टैरिफ से बदला चीन का नजरिया
अमेरिका के टैरिफ लगाने के बाद से चीनी कंपनियों का नजरिया पूरी तरह से बदल गया है. वो भारत में विस्तार के लिए भारतीय कंपनियों के पक्ष में हिस्सेदारी कम करने की शर्तों के प्रति ज्यादा सहमत हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भगवती प्रोडक्ट्स के डायरेक्टर राजेश अग्रवाल का कहना है कि ”चीनी कंपनियों का नजरिया पूरी तरह से बदला हुआ नजर आ रहे है. वे अब भारतीय कंपनियों के साथ कम हिस्सेदारी के लिए भी तैयार हैं. चीन की कंपनियां भारत को मार्केट को खोना नहीं चाहती हैं.”
ट्रंप के टैरिफ वॉर का भारत को फायदा
जानकारों का मानना है कि अमेरिका के टैरिफ वॉर का भारत को बड़ा फायदा मिल सकता है. क्योकि चीन की कंपनियां अब भारत में निवेश करने के लिए ज्यादा इच्छुक हैं, लेकिन अब भारतीय कंपनियां इसको लेकर सख्त रुख अपना रही हैं.
दरअसल, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स जॉइंट वेंचर में चीनी इक्विटी पर 10 प्रतिशत की सीमा लगाने पर विचार कर रहा है. भारत घरेलू क्षमताओं को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स जॉइंट वेंचर में चीनी इक्विटी को 10% तक सीमित करने की योजना बना रहा है.
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