India-China Relation: पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच हुए समझौते के बाद द्विपक्षीय संबंधों की बहाली को लेकर बुधवार को बैठक हुई. ऐसे में एक ओर जहां भारत दोनों देशों के बीच के संबंधों में आई दरार को खत्म करने की कोशिश कर रहा है, वहीं, दूसरी ओर ड्रैगन अपनी चालबाजी से बाज नहीं आ रहा है.
दरअसल, चीन डोकलाम के आसपास गांवों को बसाने में लगा है, जो पारंपरिक रूप से भूटान का हिस्सा रहा है. इस बात का खुलासा सैटेलाइट के तस्वीरों के जरिए हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने बीते आठ वर्षो में भूटान के इस पारंपरिक क्षेत्र में कम से कम 22 गांवों और बस्तियों का निर्माण किया है. ऐसे में करीब सात हजार लोगों को यहां स्थानांतरित भी कर दिया है.
रणनीतिक रूप से काफी अहम ये गांव
वहीं, डोकलाम के आसपास के गांव बसाने का सिलसिला साल 2020 से जारी है, ऐसे में अब तक यहां 8 गांवों को बसाया जा चुका है. जानकारों का कहना है कि भूटान के पश्चिमी क्षेत्र में निर्माण किए गए ये गांव रणनीतिक रूप से काफी अहम हैं. वहीं, ये सभी गांव एक घाटी से सटे हुए हैं, जिस पर चीन अपना अधिकार बताता है और यहां से चीनी सैन्य चैकियां भी काफी नजदीक है.
बॉर्डर पुलिस के साथ अन्य सैन्य कर्मी भी मौजूद
रिपोर्ट के मुताबिक, चीन ने करीब 825 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर कब्जा कर लिया है, जो भूटान के अंदर था. यह हिस्सा देश के 2 फीसदी भाग से थोड़ा अधिक है. इसके अलावा, चीन ने इन गांवों में अज्ञात संख्या में अधिकारियों, निर्माण करने वालो मजदूरों, बॉर्डर पुलिस और सैन्य कर्मियों को भी भेजा है. ये सभी गांव सड़क के माध्यम से चीन से जुड़े हुए हैं.
चीन ने भारत की टेंशन बढ़ाई
बता दें कि चीन ने जिन 22 गांवों का निर्माण किया है उसमें से सबसे बड़े गांव का नाम जीवू है, जो पारंपरिक भूटानी चरागाह त्सेथांखखा पर स्थित है. चीन के इस चाल के वजह से भारत की भी टेंशन बढ़ी हुई है, क्योंकि इस क्षेत्र में चीनी स्थिति मजबूत होने से सिलीगुड़ी कॉरिडोर (जिसे चिकन नेक भी कहा जाता है) की सुरक्षा पर खतरा मंडरा सकता है. यह कॉरिडोर भारत को पूर्वोत्तर के राज्यों से जोड़ता है.
ये भी पढ़ें: –फिलिस्तीनी परिवारों ने अमेरिका के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा, मानवाधिकारों के हनन का लगाया आरोप