India China relation: भारत-चीन के संबंधों में हमेशा तनातनी का माहौल देखने को मिलता है. इसी बीच एक बार फिर चीन ने भारत के खिलाफ जहर उगला है. दरअसल, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर (S Jaishankar) के मेक इन इंडिया वाले बयान पर चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स आग-बबूला हो गया है. 17 मई, शुक्रवार को जयशंकर ने कहा था कि भारतीय कंपनियों को चीन के साथ व्यवहार करते समय राष्ट्रीय सुरक्षा के फिल्टर का उपयोग करना चाहिए.
जयशंकर ने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि, इसका मतलब यह नहीं है कि चीन से कुछ भी नहीं मंगाया जा सकता है, लेकिन अगर आपके लिए कोई भारतीय विकल्प उपलब्ध है तो हम चाहेंगे कि आप भारतीय कंपनियों के साथ काम करें. मुझे लगता है कि यह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अच्छा है. अब जयशंकर के इस बयान पर चीन ने तीखी प्रतिक्रिया दी है.
चीनी मीडिया ने कही ये बात
जयशंकर के बयान के बाद चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने लिखा, राष्ट्रीय सुरक्षा के फिल्टर बयानबाजी को भारतीय उत्पादों और मेक इन इंडिया के समर्थन के तरीके के रूप में देखा जा सकता है. यह घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार के संकल्प को उजागर करता है, लेकिन बाजार को सीमित करने और व्यापार बाधा डालने से भारत के आर्थिक हितों पर भी इसका नकारात्मक असर पड़ेगा.
चीन ने भारत पर लगाए आरोप
चीनी मीडिया ने कहा, संरक्षणवादी नीतियों को लेकर भारत का यह कदम अंतरराष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा, चीन के सामने विनिर्माण और औद्योगिक आधार की कमजोरी के बारे में चिंताओं को दर्शाता है. चीन से आयात को प्रतिबंधित करने के भारत सरकार के प्रयासों के बावजूद चीन भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. 2023-24 में भारत और चीन का द्विपक्षीय व्यापार कुल 118.4 बिलियन डॉलर था.
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चीनी मीडिया ने भारत पर चीनी कंपनियों को धमकाने का भी आरोप लगाया है. चीन ने आरोप लगाते हुए कहा, भारत लापरवाही से संरक्षणवाद अपना सकता है और राष्ट्रीय सुरक्षा की आड़ में चीनी कंपनियों पर दबाव डाल सकता है. भारत के लिए अपने घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने और संरक्षणवादी नीतियों में शामिल होने के बीच संतुलन बनाना महत्वपूर्ण है, जो आर्थिक प्रगति में बाधा बन सकते हैं.
‘देश अपने लक्ष्यों से बहुत पीछे है’
इतना ही नहीं, ग्लोबल टाइम्स ने भारत के विनिर्माण क्षेत्र पर भी तंज कसा है. उसने लिखा, “जब भारत ने विनिर्माण पर अपने नए फोकस के हिस्से के रूप में 2014 में “मेक इन इंडिया” पहल शुरू की, तो इसका लक्ष्य उस समय के 16 प्रतिशत से 2025 तक विनिर्माण को सकल घरेलू उत्पाद का 25 प्रतिशत तक बढ़ाना था. फिर भी, पिछले एक दशक में, स्मार्टफोन और इलेक्ट्रॉनिक्स क्षेत्रों में बड़ी जीत के बावजूद, देश अपने लक्ष्यों से बहुत पीछे है. हाल के वर्षों में सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण का अनुपात लगभग 17 प्रतिशत पर अटका हुआ है.”