India-China: इन दिनों भारतीय विदेश मंत्री डा. एस जयशंकर अमेरिका दौरे पर हैं. जहां उन्होंने उक कार्यक्रम में भाग लिया. इस दौरान उन्होंने भारत और चीन के संबंधों पर खुलकर बात की. एस जयशंकर ने कहा कि जब चीन की बात आती है, तो वे मंत्रालय में अपने सहयोगियों से प्रतिस्पर्धा के लिए तैयार रहने के लिए कहते हैं, क्योंकि दुनिया किसी को भी थाली में परोसकर कुछ नहीं देती है.
उन्होंने कहा कि भारत की आजादी के बाद से पड़ोंसी देशों के साथ संबंध काफी मजबूत हुए है. इसका एकमात्र कारण यह है कि हम बहुत क्षेत्रीय हो गए हैं. हमारे पड़ोसियों की भी अपनी राजनीति है और वहां भी उतार-चढ़ाव है. हालांकि एक बड़े पड़ोंसी होने के कारण हम राजनीतिक बहस के भागीदार बन जाते है.
चीन ने किया समझौते का उल्लंघन
विदेश मंत्री ने आगे कहा कि सीमा में शांति बरकरार रखने को लेकर भारत ने चीन के साथ समझौता किए थे, लेकिन चीन ने साल 2020 में उन समझौतों का उल्लंघन किया. ऐसे में भारत ने भी सीमा पर सेना को तैनात किया है, जिसे लेकर दोनों देशों के बीच तनाव है और ये तनाव उस वक्त तक जारी रहेगा जब तक सेना वहां तैनात रहेगी. अगर ऐसे में ही तनाव जारी रहा तो इसका प्रभाव बाकि के संबंधों पर भी पड़ सकता है.
विश्व स्तर पर विनिर्माण में चीन की भागीदारी
एस जयशंकर ने कहा कि जब व्यापार की बात आती है तो मुझे लगता है विश्व स्तर पर विनिर्माण में चीन की भागेदारी 31-32 प्रतिशत है. पश्चिमी देशों ने लाभ के लिए लंबे समय से चीन के साथ सहयोग करना शुरू किया. ऐसे में आज किसी भी देश के लिए यदि आप किसी भी प्रकार के विनिर्माण में हैं तो चीन से सोर्सिंग अनिवार्य है. एक स्तर पर चीन के साथ व्यापार राजनीतिक और बाकी संबंधों से लगभग स्वायत्त है.
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