अमेरिकी टैरिफ को टक्कर देगा भारत, चीनी FDI समेत इन मामलों में ढील देने पर कर रहा विचार

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India-China relations: एक ओर जहां अमेरिका 2 अप्रैल से भारत पर हाई टैरिफ लगाने को आतुर है. तो वहीं, दूसरी ओर भारत भी हाल ही में चीन के साथ कम हुए तनाव का फायदा उठाने पर विचार कर रहा है. दरअसल, इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में गलवान में चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच झड़प के बाद 5 साल पहले लगाए गए व्यापार और निवेश पर कुछ प्रतिबंधों को कम करने या निष्प्रभावी करने के लिए विभागों के बीच चर्चा चल रही है, जिसमें चीनी एफडीआई को आसान करना भी शामिल है.

इन बातों पर विचार कर रहा भारत

बता दें कि भारत द्वारा विचार किए जा रहे मुद्दों में चीनी कर्मियों के लिए वीजा प्रतिबंधों में ढील और खेपों के आयात पर कुछ टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को हटाने जैसे आसान आर्थिक परिणाम शामिल हैं. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि भारत सरकार कुछ चीनी ऐप्‍स को भी फिर से अनुमति दे सकती है. इसके अलावा, दोनों देशों के बीच कुछ फ्लाइट्स को भी फिर से शुरू किया जा सकता है. हालांकि चीनी विद्वानों को वीजा जारी करना पहले से ही प्रस्तावित प्रस्ताव हैं.

अमेरिका को मिल सकता है संकेत

दरअसल, संभावना जताई जा रही है कि व्यापारिक संबंधों को सामान्य बनाने के लिए चीन के साथ स्पष्ट रूप से करीबी बातचीत शुरू करने से अमेरिका को एक संकेत मिल सकता है. हालांकि यह संभावित बचाव के रूप में काम कर सकता है.

वहीं, हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में कुछ प्रतिबंधों को खोलने के पक्ष में एक प्रस्तुति दी गई है. माना जा रहा है कि ट्रंप के बाद के दौर में चीन के साथ व्यापारिक संबंधों में सुधार अपरिहार्य है. यह केवल समय की बात है, लेकिन यह कैसे किया जाएगा, यह सरकार के भीतर आंतरिक बहस का विषय है.

बीजिंग से निवेश की अनुमति

सूत्रों के मुताबिक, भारतीय पक्ष अब दोनों देशों के बीच बढ़ते व्यापार घाटे को देखते हुए भारत बीजिंग से निवेश की अनुमति देने के लिए तैयार है. वर्तमान में कई प्रतिबंधों के बाद भी व्यापार प्रवाह उल्लेखनीय रूप से चीन के पक्ष में बना हुआ है. ऐसे में भारत सरकार केंद्र की 2020 नीति में ढील देने पर विचार कर सकती है. इस नीति के तहत भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों में कंपनियों से निवेश के लिए केंद्र की मंजूरी की आवश्यकता होती है.

भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार

इसके अलावा, IBEF के मुताबिक वित्त वर्ष 2024 में भारत और चीन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 4% की ग्रोथ के साथ वित्त वर्ष 2023 में 113.83 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में 118.40 अरब अमेरिकी डॉलर रहा. इस वर्ष चीन एक बार फिर भारत का शीर्ष व्यापारिक साझेदार बना, जिसने दो साल के अंतराल के बाद संयुक्त राज्य अमेरिका को पीछे छोड़ दिया. इसके साथ ही अप्रैल 2000 से सितंबर 2024 तक 2.50 अरब अमेरिकी डॉलर की संचयी एफडीआई राशि के साथ चीन भारत में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 22वें स्थान पर है.

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