TRISHNA: भारत और फ्रांस नए प्रोजेक्ट तीसरे संयुक्त उपग्रह मिशन ‘तृष्णा’ पर मिलकर काम कर रहे हैं. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी (CNES) संयुक्त साझेदारी में प्राकृतिक संसाधनों के आकलन के लिए थर्मल इमेजिंग उपग्रह ‘तृष्णा’ (थर्मल इंफ्रा-रेड इमेजिंग सैटेलाइट फॉर हाई-रिजोल्यूशन नेचुरल रिसोर्स एसेसमेंट) के लॉन्चिंग की तैयारी में लगे हैं. पहली बार इसरो ने इस सैटेलाइट के बारे में खुलकर बात की. इसरो ने इस उपग्रह की खासियत और इससे भविष्य में होने वाले फायदों के बारे में जानकारी दी.
इस तरह काम करेगा TRISHNA
तृष्णा के बारे में इसरो ने बताया कि TRISHNA सैटेलाइट पृथ्वी की सतह के तापमान, जैव-भौतिकीय, उत्सर्जन और विकरण को प्रभावित करने वाले कारकों की निगरानी करेगा. तृष्णा मिशन जल और खाद्य सुरक्षा से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए है. यह मानव जनित जलवायु परिवर्तन के प्रभावों और वाष्पोत्सर्जन की निगरानी करेगा. इसके जरिए जल संसाधनों के कुशल प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा. इसरो ने कहा कि सैटेलाइट ज्वालामुखी गतिविधि और भूतापीय सोर्स से जुड़ी थर्मल विसंगतियों का भी जानकारी देगा.
एसएसओ में स्थापित होगा उपग्रह
TRISHNA सैटेलाइट में दो प्राथमिक पे-लोड होंगे. फ्रांसीसी अंतरिक्ष एजेंसी इसके लिए थर्मल इंफ्रा-रेड पे-लोड प्रदान करेगी, जिसमें चार चैनल लांग-वेव इंफ्रारेड इमेजिंग सेंसर होंगे. यह उत्सर्जन के साथ सतह के तापमान का हाई-रिजोल्यूशन मापन करने में सक्षम होगा. इसरो विजिबल निकट इंफ्रा-रेड-शार्ट वेव इंफ्रा रेड पे-लोड का निर्माण करेगा. इसमें 7 स्पेक्ट्रल बैंड होंगे जो सतह परावर्तन की व्यापक मैपिंग में सक्षम होंगे. यह सैटेलाइट भू-मध्य रेखा पर 761 किमी की ऊंचाई पर सूर्य समकालिक कक्षा (एसएसओ) में स्थापित होगा. इस मिशन को 5 साल के परिचालन जीवन के लिए बनाया गया है और यह भूमि और तटीय क्षेत्रों के लिए 57 मीटर और महासागरीय और ध्रुवीय क्षेत्रों के लिए 1 किमी के स्थानिक रिज़ॉल्यूशन के साथ डेटा देगा.
ये भी पढ़ें :- पूरा होने वाला है भारत-नेपाल हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, पीएम प्रचंड ने विजिट की साइट; अधिकारियों ने कही ये बात