America Religious Freedom Report: भारत ने शुक्रवार, 28 जून को धार्मिक स्वतंत्रता पर अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट में अपनी आलोचना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी. अमेरिकी सरकार की रिपोर्ट के तथ्यों को भारत ने पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण, वोट बैंक की सोच से प्रेरित बताया. रिपोर्ट खारिज करते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल (Randhir Jaiswal) ने कहा, इसमें पहले से ही तय विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है और यहां तक कि भारतीय अदालतों द्वारा सुनाए गए कुछ कानूनी निर्णयों की सत्यनिष्ठा को भी चुनौती दी गई है.
अतीत की तरह, यह रिपोर्ट भी है पक्षपातपूर्ण- जायसवाल
जायसवाल ने आगे कहा, अतीत की तरह, यह रिपोर्ट भी अत्यधिक पक्षपातपूर्ण है, इसमें भारत के सामाजिक ताने-बाने की समझ का अभाव है. उन्होंने कहा, यह वोट बैंक की सोच से प्रेरित है. इसलिए हम इसे खारिज करते हैं. रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह पूरा उपक्रम अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलतबयानी, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों को एकतरफा तरीके से पेश करने का मिश्रण है. उन्होंने आगे कहा, यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत अधिनियमित कानूनों के चित्रण तक गया है. इसमें पूर्व में तय विमर्श को आगे बढ़ाने के लिए चुनिंदा घटनाओं को चुना गया है.
रिपोर्ट में कानूनों की वैधता पर भी उठाया गया है सवाल
रणधीर जायसवाल ने कहा कि यह रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों के कुछ कानूनी निर्णयों की ईमानदारी को भी चुनौती देती लगती है. उन्होंने कहा, कुछ मामलों में, रिपोर्ट में कानूनों की वैधता पर भी सवाल उठाया गया है. साथ ही उन्हें लागू करने के विधायिकाओं के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है. जायसवाल ने कहा कि रिपोर्ट में उन रेगुलेशन को भी लक्षित किया गया है, जो भारत में वित्तीय प्रवाह के दुरुपयोग की निगरानी करते हैं. उन्होंने कहा कि अमेरिका में तो और भी अधिक कठोर कानून और नियम हैं तथा वह निश्चित रूप से अपने लिए ऐसे समाधान नहीं सुझाएगा. उन्होंने आगे कहा कि मानवाधिकार और विविधता के प्रति सम्मान भारत और अमेरिका के बीच चर्चा का वैध विषय रहा है और रहेगा.
बता दें, अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अंतर्राष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता पर विदेश विभाग की वार्षिक रिपोर्ट जारी करने के मौके पर बुधवार को कहा था कि दुनियाभर में लोग धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए काफी जद्दोजहद कर रहे हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अमेरिका के वरिष्ठ अधिकारियों ने 2023 में भारत के अपने समकक्षों के साथ धार्मिक स्वतंत्रता के मुद्दों के बारे में लगातार चिंताएं व्यक्त कीं.