UNSC: संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारत ने अपना रुख साफ करते हुए कहा कि शांति स्थापना का कार्य बहुत ही चुनौतीपूर्ण है. इसमें शांतिसैनिकों को गैर-सरकारी तत्वों, सशस्त्र समूहों तथा आतंकियों का सामना करना पड़ता है. भारत ने यह भी कहा कि जटिल संघर्षों और खतरों के इस युग में शांति स्थापना के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए. ये बातें यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वतनेनी हरीश ने सोमवार को संयुक्त राष्ट्र शांति अभियानों में अनुकूलता को बढ़ाने पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की खुली बहस के दौरान कहीं.
नई चुनौतियों का करना पड़ रहा है सामना
पर्वतनेनी हरीश ने कहा कि आज संयुक्त राष्ट्र शांतिसैनिकों को गैर-सरकारी तत्वों, सशस्त्र समूहों, आतंकवादियों और अंतरराष्ट्रीय आपराधिक नेटवर्कों की मौजूदगी से जूझना पड़ रहा है. प्रौद्योगिकी प्रगति ने गलत/अभद्र/भ्रामक सूचना और घृणास्पद भाषण, ड्रोन, आईईडी आदि समेत नए युग के हथियारों के तौर पर नई चुनौतियां पैदा की हैं. ये कुछ नई वास्तविकताएं हैं, जिनसे शांतिसैनिक जूझ रहे हैं.
सर्वोपरि है शांतिसैनिकों की सुरक्षा
राजदूत ने कहा, ‘‘शांतिसैनिकों की सुरक्षा सर्वोपरि होनी चाहिए. जटिल संघर्षों और विषम खतरों से भरे इस युग में, हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि शांति के लिए अपनी जान खतरे में डालने वालों को पर्याप्त सुरक्षा मिले और शांतिसैनिकों के खिलाफ अपराध करने वालों को न्याय के कठघरे में लाया जाए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि सैन्य/पुलिस योगदान देने वाले देशों को शत्रुतापूर्ण वातावरण में प्रभावी ढंग से काम करने के लिए उभरती चुनौतियों का समाधान करने के लिए अपने कार्मिकों की क्षमताओं को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है.
उन्नत निगरानी, संचार और डेटा विश्लेषण है जरूरी
उन्होंने कहा कि भारत अपने संयुक्त राष्ट्र शांति स्थापना केंद्र (CUNPK) में आधुनिक शांति स्थापना की विशिष्ट मांगों का समाधान करने वाले पाठ्यक्रमों को तैयार करने और पेश करने का इच्छुक है, जो दो दशकों से अधिक समय से राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय शांतिसैनिकों को ट्रेनिंग दे रहा है.
इस बात पर जोर देते हुए कि उन्नत निगरानी, संचार और डेटा विश्लेषण उपकरणों के इस्तेमाल को शांति अभियानों में एकीकृत किया जाना चाहिए, ताकि स्थितिजन्य जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया क्षमताओं में सुधार हो सके, हरीश ने कहा कि भारत इस संबंध में प्रौद्योगिकी सक्षमकर्ता के रूप में अपनी विशेषज्ञता शेयर करने के लिए तैयार है.
भारतीय शांतिसैनिकों ने दिया सर्वोच्च बलिदान
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि ने कहा कि शांति स्थापना के लिए आधुनिक चुनौतियों का सामना करने के लिए शांति स्थापना मिशन को पर्याप्त रूप से वित्त और संसाधन उपलब्ध कराने की जरूरत है. सितंबर 2024 तक 10 अभियानों में शामिल 153 महिलाओं समेत 5,384 कर्मियों के साथ भारत संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में योगदान देने वाले शीर्ष देशों में शामिल है. करीब 180 भारतीय शांतिसैनिकों ने अपने कर्तव्यों का निर्वाह करते हुए सर्वोच्च बलिदान दिया है. यह संख्या सैन्य योगदान देने वाले किसी भी अन्य देश के तुलना में अधिक है.
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