India Pakistan tension: इन दिनों भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है. इस दौरान अब सवाल ये उठा रहा है कि क्या इन दोनों देशों के लड़ाई में चीन की एंट्री हो सकती है, यदि होगी भी तो वो किसके पक्ष में होगा, क्योंकि एक ओर जहां वो पाकिस्तान के सैन्य ताकत को बढ़ा रहा है, वहीं, दूसरी ओर भारत की तारीफ करता हुआ भी नजर आया था.
इसी बीच भारतीय सेना के एक पूर्व कमांडर ने कहा है कि वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य और शुल्क (टैरिफ) संबंधी ‘‘जटिलताओं’’ के चलते, पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच ‘‘अस्थिरता’’ में चीन के सीधे तौर पर शामिल होने की संभावना नहीं है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा है कि पाकिस्तान के साथ चीन की मित्रता जगजाहिर है.
गलवान के बाद चीन के साथ हुई काफी चर्चा
दरअसल, पूर्वी कमान के पूर्व प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) राणा प्रताप कलिता ने भारत पाकिस्तान के बीच चीन की दखलअंदाजी को लेकर कहा है कि “गलवान 2020 की घटना के बाद, पाकिस्तान और चीन के बीच काफी विचार-विमर्श हुआ और टकराव के अंतिम बिंदु पर गतिरोध को हल कर लिया गया है.”
वैश्विक अर्थव्यवस्था पर पड़ रहा प्रभाव
ऐसे में संघर्ष के अंतिम क्षेत्रों में समाधान के बाद ‘सामान्यीकरण की प्रक्रिया’ शुरू हो गई है और द्विपक्षीय तंत्र में तेजी आई है, जिसमें सीधी उड़ानें शुरू करने और कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने के लिए वार्ता शामिल है. साथ ही पूर्व कमांडर ने कहा ये भी कहा कि दोनों देशों को अमेरिका द्वारा लगाए गए बढ़े हुए व्यापार शुल्क का सामना करना पड़ रहा है, जिसका वैश्विक अर्थव्यवस्था पर भी प्रभाव पड़ रहा है.
वर्तमान स्थिति पर क्या होगी चीन की प्रतिक्रिया?
पूर्व सैन्य कमांडर ने कहा भारत और चीन विनिर्माण देश होने के साथ-साथ प्रमुख उपभोग बाजार भी हैं, इसलिए इनमें शुल्क में बदलाव का प्रभाव अधिक महसूस किया जाएगा. ऐसे में इन जटिलताओं और भू-राजनीतिक घटनाक्रमों को देखते हुए, पहलगाम घटना से पैदा हुई अस्थिरता के प्रति चीन की कोई प्रत्यक्ष प्रतिक्रिया होगी या नहीं, फिलहाल इसका अनुमान लगाना मुश्किल है. हालांकि मुझे नहीं लगता कि वे सीधे तौर पर इसमें शामिल होंगे.”
इसे भी पढें:-भारत के एक्शन से परेंशान पाकिस्तान, किया इमरजेंसी का ऐलान; सेना को भी दिया सख्त निर्देश