India Russia Friendship: एक बार फिर भारत के कारनामें से पड़ोसी देश चीन और पाकिस्तान की नींद उड़ी हुई है. दरअसल, भारत और रूस के बीच पिछले साल परमाणु ऊर्जा को लेकर एक सौदा हुआ था, जिसके तहत अब जल्द ही भारत को ईंधन की एक बड़ी खेप मिलने वाली है, जिसे भारत के कुडनकुलम पावर प्लांट में परमाणु ऊर्जा मुहैया करवाया जा सके.
एक रिपोर्ट के अनुसार, जब इस प्लांट की सभी 6 यूनिट पूरी हो जाएंगी, उस वक्त इसकी क्षमता 6,000 मेगावॉट की हो जाएगी और यह देश का सबसे बड़ा नयूक्लियर एनर्जी प्लांट होगा. हालांकि मौजूदा समय में यहां 2 गीगावॉट की कैपिसिटी वाली दो यूनिट ही चल रहीं हैं.
10,500 करोड़ रुपये का है ये प्रोजेक्ट
आपको बता दें कि वर्तमान में देश में 7 गीगावॉट की परमाणु ऊर्जा क्षमता है, ऐसे में साल 2029 तक इसे डबल करते हुए 13 गीगावॉट तक ले जाने की सरकार की मंशा है. इसीलिए 2023 में भारत और रूस ने इस प्लांट की नई इकाइयों को परमाणु ईंधन की आपूर्ति के लिए 10,500 करोड़ रुपये की यह डील की थी, जिसके बाद रूस दोनों यूनिट को बनाने में सहयोग कर रहा है.
एक और प्रोजेक्ट पर चल रही बात
बता दें कि रूसी परमाणु ईंधन कंपनी TVEL JSC कुडनकुलम पावर प्लांट में परमाणु ऊर्जा विभाग को ईंधन और अन्य सामान की सप्लाई करेगी. हालांकि इस प्रोजेक्ट के अलावा भी रूस की एक कंपनी के साथ संयुक्त उद्यम बनाने पर भी भारत सरकार का फोकस है. फिलहाल इसके लिए बातचीत की जा रही है. जानकारों के मुताबिक, यदि यह संयुक्त उपक्रम धरातल पर आता है तो इससे भारत की परमाणु क्षमता काफी हद तक बढ़ जाएगी, जो चीन के लिए कुछ मुश्किलें खड़ी कर सकता है.
क्या है कुडनकुलम प्रोजेक्ट?
दरअसल, यह प्रोजेक्ट तमिलनाडु के तिरुनेलवेली जिले में है, जो चेन्नई से 650 किलोमीटर दूर है. यह प्रोजेक्ट रूसी वॉटर रिऐक्टर टेक्नॉलजी पर बेस्ड है. साल 2023 में भारत और रूस के बीच कुंदनकुलम परियोजना की आखिरी अधूरी दो यूनिटों के निर्माण को लेकर समझौता हुआ था.
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