भारतीयों के लिए व्लादिमीर पुतिन का बड़ा तोहफा, साल 2025 से वीजा फ्री होगा रूस यात्रा

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

India Russia Realation: आज भारत और रूस के बीच संबंधों की पूरी दुनिया में चर्चा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोंदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अक्सर दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करने को लेकर चर्चा होती रहती है. ऐसे में अब एक बार फिर से रूस ने दोस्ती की मिसाल पेश करते हुए भारतीयों के लिए बड़े तोहफे का ऐलान किया है.

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2025 में भारतीय रूस की वीज़ा-मुक्त यात्रा कर सकेंगे. हालांकि इससे पहले ऐसी कई खबरें सामने आई थीं कि भारत और रूस ने एक-दूसरे के लिए वीज़ा प्रतिबंधों को कम करने के लिए द्विपक्षीय समझौते पर चर्चा की है.

शीर्ष पांच देशों में भारत ने बनाई अपनी जगह 

बता दें कि अगस्त 2023 से ही भारतीयों के लिए रूस की यात्रा करने के लिए ई-वीजा एलिजबल हैं. हालांकि इसके जारी होने के लिए करीब चार दिन का समय लग सकता है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल जारी किए गए ई-वीजा की संख्या के मामले में भी भारत ने शीर्ष पांच देशों में अपनी जगह बनाई. वहीं, रूस ने भारतीय यात्रियों को 9,500 ई-वीजा दिए हैं.

इस मामले में तीसरे स्‍थान पर भारत

हाल ही में जारी किए गए एक आकड़ें के मुताबिक, ज्‍यादातर भारतीय व्यवसाय या यात्रा के लिए रूस जाते हैं. आकड़े की मानें तो साल 2023 में रिकॉर्ड 60,000 से अधिक भारतीयों ने मास्को की यात्रा की, जो 2022 की अपेक्षा 26 प्रतिशत अधिक है. वहीं, गैर-सीआईएस देशों में भारत तीसरे स्थान पर है जहां से सबसे अधिक लोग रूस की यात्रा करते हैं. इसाके अलावा, साल 2024 की पहली तिमाही में ही लगभग 1,700 ई-वीजा जारी किए गए थे.

अभी किन देशों को वीजा फ्री एंट्री

खास बात ये है कि रूस वर्तमान में अपने वीज़ा-मुक्त पर्यटक विनिमय कार्यक्रम के माध्यम से चीन और ईरान के यात्रियों को वीज़ा-मुक्त प्रवेश की अनुमति देता है. ऐसे में अब भारत के साथ भी रूस वीजा मुक्त यात्रा पर विचार कर रहा है.

भारत रूस की दोस्ती से अमेरिकी को लगी मिर्ची

ऐसे में भारत रूस की दोस्ती से नाराज अमेरिका ने कहा कि भारत रूस के साथ साझेदारी करता है, क्योंकि उसे अमेरिकी नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. निक्‍की हेली ने कहा कि भारत हमारे साथ भागीदार बनना चाहता है, वो रूस के साथ भागीदार नहीं बनना चाहते हैं, लेकिन समस्‍या यह है कि भारत को हमारी जीत पर विश्‍वास नहीं है. उन्हें हमारे नेतृत्व पर भरोसा नहीं है. वे हमें कमजोर मानते हैं.

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