India-US trade relations: इन दिनों देश में अमेरिका द्वारा भारत पर लगाया जाने वाला टैरिफ चर्चा का विषय बना हुआ है. इसी सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विदेश मंत्री एस जयशंकर और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से मुलाकात की. इस दौरान अप्रैल से शुरू होने वाले अमेरिका से संभावित पारस्परिक शुल्कों को संबोधित करने की भारत की रणनीति पर ध्यान केंद्रित किया गया.
इस बैठक के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों और भारत पर उनके प्रभाव पर चिंताएं प्रमुख विषय थे. इसके साथ ही भारत सरकार चीनी एफडीआई में ढील देने और गैर-व्यापार बाधाओं की खोज करने पर भी विचार कर रही है.
भारत दौरे पर आएगा अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल
दरअसल, अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया कि भारतीय अधिकारियों के साथ व्यापार वार्ता के लिए अमेरिका के अधिकारियों का एक प्रतिनिधिमंडल 25 से 29 मार्च तक भारत का दौरा करेगा. इस दौरान दक्षिण और मध्य एशिया के लिए सहायक अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच इस समूह का नेतृत्व करेंगे.
ट्रंप के टैरिफ को लेकर भारतीय निर्यातकों में चिंता
अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल की यह यात्रा भारत के साथ उत्पादक और संतुलित व्यापार संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है. हालांकि भारतीय व्यापार मंत्री पीयूष गोयल ने इस महीने की शुरुआत में लगभग एक सप्ताह के अमेरिकी दौरे पर थे. इस दौरान उन्होंने व्यापार को लेकर चर्चा की. लेकिन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल से पारस्परिक टैरिफ लगाने की योजना के कारण भारतीय निर्यातकों में चिंता पैदा हो गई.
पीएम मोदी और ट्रंप के बीच इस मुद्दे को लेकर सहमति
वहीं, अभी पिछले महीने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी अमेरिका दौरे पर गए थे. इस दौरान दोनो देशो ने 2025 की शरद ऋतु तक व्यापार समझौते के पहले चरण पर काम करने पर सहमति व्यक्त की, जिसमें 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को 500 बिलियन डॉलर तक पहुँचाने का लक्ष्य रखा गया.
व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए हो रही चर्चा
इसके अलावा, भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने भी हाल ही में कहा था कि भारत और अमेरिका टैरिफ संबंधी मुद्दों को सुलझाने तथा द्विपक्षीय व्यापार समझौते की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए चर्चा कर रहे हैं. वहीं, अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा कि हम व्यापार और निवेश के मामलों पर भारत सरकार के साथ अपने चल रहे सहयोग को महत्व देते हैं और इन चर्चाओं को रचनात्मक, न्यायसंगत और दूरदर्शी तरीके से जारी रखने की आशा करते हैं.
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