Indian Army: फॉरवर्ड पोस्ट पर सैनिकों तक रोबॉटिक खच्चर और ड्रोन पहुंचाएंगे सामान, प्रोटोटाइप तैयार

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Indian Army: भारतीय सेना सीमावर्ती क्षेत्रों में फॉरवर्ड पोस्ट तक सामान पहुंचाने के लिए पशुओं पर निर्भरता कम करने के लिए काम कर रही है. एनिमल ट्रांसपोर्ट को कम करने के लिए सेना रोबॉटिक खच्चर और लॉजिस्टिक ड्रोन लेने की दिशा में आगे बढ़ी है. सीमावर्ती क्षेत्रों में इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी लगातार काम किया जा रहा है. भारतीय सेना पर्वतीय इलाकों में अंतिम मील की कनेक्टिविटी के लिए धीरे-धीरे पशुओं की जगह ट्रक, ऑल-टेरेन वीइकल और रगेड टेरेन वीइकल ले रही है.

भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार, बॉर्डर इलाकों में जिस तरह की भौगोलिक स्थिति और टेरेन है, उसमें एनमिल ट्रांसपोर्ट ने महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है. जैसे-जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर बनता जाएगा, वैसे-वैसे सेना पशुओं पर निर्भरता कम करती जाएगी. कार्गो ड्रोन लेने की दिशा में भी काम जारी है. तब ड्रोन के माध्‍यम से भी सैनिकों तक सामान पहुंचाया जा सकेगा.  रोबॉटिक म्यूल (खच्चर) के लिए रिसर्च और डिवेलपमेंट का काम किया जा रहा है और इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस (IISc) के साथ मिलकर रोबॉटिक खच्चर डेवलप किया जा रहा है.

100 रोबॉटिक खच्चर की सेना को जरूरत

सूत्रों के अनुसार, इस रोबॉटिक खच्चर का प्रोटोटाइप तैयार हो गया है और गर्मी में इसका परीक्षण किया गया है. बर्फीली इलाकों में भी इसका ट्रायल किया जाना है. साथ ही हर तरह की टेरेन में भी ट्रायल होगा. इंडियन आर्मी को ऐसे 100 रोबॉटिक खच्चर की आवश्‍यकता है. सेना ने पिछले वर्ष जनवरी में इसके लिए क्वेस्ट फॉर प्रपोजल (आरएफपी) भी जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि सेना रोबोटिक खच्चर स्वदेशी कंपनियों से ही लेगी. सेना को चार पैरों वाले रोबॉट की आवश्‍यकता है, जो अलग-अलग टेरेन में जा सके.

इस तरह का रोबॉटिक खच्‍चर

रोबॉटिक खच्‍चर में सेल्फ रिकवरी कैपेबिलिटी होनी चाहिए. यह खुद ही किसी भी बाधा को पार करने में सक्षम हो. साथ ही माइनस 20 से प्लस 45 डिग्री तक ऑपरेट कर सके. इसकी बैटरी की क्षमता इतनी हो कि यह कम से कम 3 घंटे लगातार चल सके. अभी हाई एल्टीट्यूट एरिया में सेना रसद पहुंचने के लिए खच्चरों का प्रयोग करती है जो सेना के एनिमल ट्रांसपोर्ट का बड़ा हिस्सा हैं. सेना को उम्मीद है कि साल 2030 तक एनिमल ट्रांसपोर्ट कम होकर 50-60 प्रतिशत तक रह जाएगा. अभी बॉर्डर इलाकों में सेना की कई ऐसी पोस्ट हैं, जहां तक सामान पहुंचाने के लिए पशुओं पर निर्भर रहना जरूरी हो जाता है.

…फिर भी एनिमल ट्रांसपोर्ट की रहेगी जरूरत

भले ही सेना जानवरों पर निर्भरता कम करने के प्रयास में लगी हुई है, लेकिन भविष्य में भी एनिमल ट्रांसपोर्ट की कुछ हद तक आवश्‍यकता बनी रहेगी. टफ टेरेन और मौसम इसकी सबसे बड़ी वजह है. हाल ही में जब सिक्किम में बादल फटने से सड़कें बह गई और फिर खराब मौसम के कारण हेलिकॉप्टर भी काम नहीं कर पाए तो एनिमल ट्रांसपोर्ट ही सबसे बड़ा सहारा बना. नई टेक्नॉलोजी और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के साथ इसकी संख्या कम जरूर होगी, लेकिन ऐसे समय में जब प्रकृति का कहर बरसता है तो एनिमल ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल ही महत्‍वपूर्ण हो जाता है.

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