Indian Doctor in Bangladesh: बांग्लादेश में हुई हिंसा में सैकड़ों लोग मारे गए और हजारों लोग घायल हुए हैं. घायलों के इलाज के लिए अस्पतालों में लंबी-लंबी लाइनें लगी हुई हैं. इन सबके बीच बांग्लादेश में सेवा दे रहे भारतीय डॉक्टरों के हौसले बुलंद हैं. भारतीय डॉक्टर्स हिंसा से प्रभावित हुए लोगों का इलाज कर रहे हैं. बांग्लादेश में मौजूद कई भारतीय डॉक्टरों ने कहा संसाधनों की कमी है और डॉक्टरों पर अत्यधिक बोझ है.
दरअसल, एक तरफ जहां बांग्लादेश में कार्यरत भारतीय डॉक्टरों के परिजन उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं तो वहीं, दूसरी तरफ कई भारतीय चिकित्सकों ने हिंसा प्रभावित ढाका में ही रहकर लोगों की जान बचाने का अपना कर्तव्य निभाने का फैसला किया है.
जानिए क्या बोले भारतीय चिकित्सक
बांग्लादेश में मौजूद भारतीय डॉक्टरों ने कहा संसाधनों की कमी है और डॉक्टरों पर अत्यधिक बोझ है. पुराने ढाका के एक अस्पताल से जुड़े श्रीनगर के एक चिकित्सक ने फोन पर बताया, “हमारे सामने कई ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें छर्रे लगने, गोली लगने और चाकू से वार के घाव हैं. प्रदर्शनकारियों और पुलिस के बीच ताजा झड़पों के बाद घायलों की संख्या में अचानक वृद्धि हुई है. संसाधनों की भारी कमी है और हम प्रतिदिन 17 से 18 घंटे काम कर रहे हैं.”
विदेशी नागरिकों को खतरा नहीं…
जम्मू कश्मीर के एक चिकित्सक और बांग्लादेश में भारतीय मेडिकल छात्रों के संघ के अध्यक्ष ने कहा, “मौजूदा स्थिति में विदेशी नागरिकों को कोई खतरा नहीं है. मैं पूरी तरह सुरक्षित महसूस कर रहा हूं. झड़पें प्रदर्शनकारियों और राजनीतिक संगठनों के बीच हैं. जो लोग मेरे जैसे विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं हैं उन्हें कोई सुरक्षा चिंता नहीं है.
धीरे-धीरे शुरू हो रहे कारोबार
भारतीय मेडिकल छात्रों के संघ के अध्यक्ष ने कहा, “मंगलवार सुबह कर्फ्यू हटा लिया गया और दुकानें, व्यवसाय और अन्य प्रतिष्ठान धीरे-धीरे फिर से खुलने लगे जिससे स्थिति में सुधार हुआ है. सोमवार तक कानून-व्यवस्था नाम की कोई चीज नहीं थी. हालांकि, मंगलवार को हालात सुधरे. हम सड़कों पर लोगों और कारोबारियों को अपना काम फिर से शुरू करते हुए देख रहे हैं.”
अस्पतालों को हमारी जरूरत है…
भारतीय चिकित्सकों ने कहा कि वो “कर्तव्य की भावना” से प्रेरित हैं और मौजूदा संकट से निपटने में मदद करने का निर्णय किया है. चिकित्सक ने कहा, “हमारे माता-पिता हमारी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं, लेकिन हमने डिग्री पूरी होने के समय लोगों के जीवन की रक्षा करने की शपथ ली थी. उनकी सेवा करना हमारा कर्तव्य है और इस कठिन समय में अस्पतालों को हमारी जरूरत है.