Indian Iron Dome: तेजी से तैयार हो रहा देशी ‘आयरन डोम’, जानिए इसकी खासियत

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Indian Iron Dome: भारत के रक्षा प्रणाली का खजाना और भी ज्‍यादा बढ़ने वाला है. दरअसल दुश्मन के लड़ाकू विमान, ड्रोन, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि न दिखने वाले विमानों को भी पलभर में नष्‍ट करने वाला भारत का आयरन डोम तेजी से तैयार हो रहा है. वायु रक्षा की इस सटीक प्रणाली को अगले तीन साल में तैनात करने का लक्ष्य रखा गया है. आयरन डोम के तैयार होते ही भारत की एयर डिफेंस सिस्टम समग्र रूप से अत्यंत शक्तिशाली हो जाएगा. दुश्मन के 150 से 350 किलोमीटर रेंज में आने वाले फ्लाइंग ऑब्जेक्ट पलक झपकते ही बर्बाद हो जाएंगे.

इजरायली आयरन डोम से कहीं ज्यादा शक्तिशाली 

डीआरडीओ के वैज्ञानिक प्रोजेक्ट कुशा के तहत समग्र स्वदेशी सुरक्षा कवच तैयार करने के लिए अलग-अलग लेवल पर परीक्षण कर रहे हैं. देश में इजरायली आयरन डोम से कहीं ज्यादा शक्तिशाली स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली विकसित किया जा रहा है. लम्बी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रणाली (LR-SAM) करीब 350 किलोमीटर की दूरी से दुश्मन के स्टील्थ फाइटर्स, ड्रोन, क्रूज और गाइडेड मिसाइलों का पता लगाकर इन्हें तबाह कर देगी. प्रोजेक्ट कुशा के तहत अत्याधुनिक और अत्यधिक शक्तिशाली स्वदेशी वायु रक्षा प्रणाली तैयार की जा रही है.

प्रणाली की खासियत

आयरन डोम एयर डिफेंस सिस्‍टम है, इसमें लगे राडार, इंटरसेप्टर और प्रक्षेपास्त्र तय रेंज में आने वाले दुश्मन के उड़नले वाले विमानों ड्रोन आदि की पहचान कर इन्हें नष्ट कर देते हैं. एलआर सेम में 150, 250, 350 किमी की रेंज में दुश्मन के विमानों, ड्रोन, प्रक्षेपास्त्रों की पहचान के लिए अलग-अलग इंटरसेप्टर मिसाइल होंगी. यह सिस्टम रडार की पकड़ से दूर तेज गति से उडऩे वाले लक्ष्यों पर भी मारक साबित होगा. यह प्रणाली मौजूदा एयर डिफेंस सिस्‍टम के साथ भी इंटीग्रेट हो सकती है. सेना के पास कम, मध्यम और लम्बी दूरी की रेंज में आने वाले सभी फ्लाइंग ऑब्जेक्ट्स को नष्ट करने की क्षमता होगी.

घटेगी विदेशी विदेशी निर्भरता

विशेषज्ञों की मानें तो एलआर-सेम वायु रक्षा प्रणाली रूस से खरीदे गए एस-400 ट्रायम्फ सिस्टम का बेहतर ऑप्‍शन होगा. इसके तैयार हो जाने से विदेशी निर्भरता घटेगी. भारत और रूस के बीच पांच एस-400 का सौदा हुआ था. अब तक मिली तीन रेजिमेंट चीन और पाकिस्तान से सटे बॉर्डर पर तैनात हो चुकी हैं. बाकी बचे दो की सप्‍लाई रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अटकी पड़ी है.

दो साल पहले मिली थी मंजूरी

दो साल पहले सुरक्षा मामलों की कैबिनेट कमेटी ने एलआर-सेम सिस्‍टम विकसित करने के लिए प्रोजेक्ट कुश को मिशन-मोड प्रॉजेक्ट के रूप में परमिशन दी थी. इसके बाद रक्षा मंत्रालय ने पिछले वर्ष वायुसेना के लिए 21,700 करोड़ रुपए की लागत से इसके पांच स्क्वॉड्रन खरीदने  के लिए हरी झंडी दी. भारत अपनी वायु रक्षा क्षमता को और शक्तिशाली बनाने के लिए एलआर-सेम तैयार कर रहा है. यह सिस्‍टम इजरायल के आयरन डोम सिस्टम और रूस से लिए गए एस-400 वायु रक्षा प्रणाली की तरह होगी.

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