Singapore: भारत ने ‘फर्स्ट ट्रेनिंग स्क्वाड्रन’ को दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों की यात्रा पर भेजा है. इस बाबत सिंगापुर में तैनात भारतीय उच्चायुक्त शिल्पक अंबुले ने आईएनएस सुजाता, आईएनएस शार्दुल और आईसीजीएस वीरा के प्रशिक्षुओं का स्वागत किया. इस दौरान अंबुले ने प्रशिक्षुओं को दक्षिण पूर्व एशिया की यात्रा के दौरान मिलने वाले अवसरों का भरपूर लाभ उठाने का आह्वान किया है.
चांगी नौसेना अड्डे पर स्वागत समारोह का आयोजन
दरअसल, भारतीय राजदूत अंबूले शनिवार शाम को चांगी नौसेना अड्डे पर ‘फर्स्ट ट्रेनिंग स्क्वाड्रन’ (1टीएस) और ‘रिपब्लिक ऑफ सिंगापुर नेवी’ (आरएसएन) के प्रतिनिधि सहित आमंत्रित गणमान्य व्यक्तियों के लिए आयोजित स्वागत समारोह को संबोधित कर रहे थे. इस दौरान उन्होंने प्रशिक्षुओं से कहा कि क्षेत्र के मित्र देशों के साथ जुड़ाव से उन्हें ठोस जानकारी मिलेगी.
कहा कि ये कार्यक्रम जहाज पर सवार प्रशिक्षुओं को ठोस जानकारी प्रदान करेंगे और उन्हें दोनों देशों के साथ ही हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे सामाजिक, सांस्कृतिक, सैन्य और सर्वोत्कृष्ट समुद्री संबंधों को समझने का एक अनूठा अवसर मिलेगा. अंबूले ने कहा कि सिंगापुर न केवल समुद्री अनुभवों के दृष्टिकोण से, बल्कि इससे भी ज्यादा हमारे प्रशिक्षण स्क्वाड्रन के लिए एक महत्वपूर्ण पोर्ट है.
60वीं वर्षगांठ सिंगापुर मना रहा
उन्होंने कहा कि यह यात्रा इसलिए भी खास है क्योंकि हम इस वर्ष अपने राजनयिक संबंधों की 60वीं वर्षगांठ और सिंगापुर का 60वां स्थापना दिवस मना रहे हैं.” पोत गुरुवार को सिंगापुर के चांगी बेस पर पहुंचे थे. राजदूत अंबुले ने कहा कि सिंगापुर भारतीय नौसेना और तट रक्षक जहाजों के लिए पोर्ट के रूप में एक महत्वपूर्ण गंतव्य रहा है. तीन जहाजों की यात्रा का समर्थन करने के लिए आरएसएन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए, अंबुले ने दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच इस साझेदारी के निरंतर विकास की कामना की.
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