India: यूरोपीय संघ के इस्पात टैरिफ पर जवाबी सीमा शुल्क लगाने की तैयारी में भारत

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

India: भारत ने यूरोपीय संघ से आयातित कुछ वस्तुओं पर विश्‍व व्‍यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानदंडों के तहत जवाबी सीमा शुल्क लगाने का प्रस्ताव रखा है. ईयू के इस्पात उत्पादों पर यूरोपीय संघ के सुरक्षा उपायों पर व्यापार समूह के साथ द्विपक्षीय वार्ता विफल होने के बाद भारत ने यह कदम उठाया है.

हालांकि भारत ने इन उत्‍पादों पर जवाबी कार्रवाई का ब्यौरा साझा नहीं किया है, लेकिन उसने कहा कि वह यूरोपीय संघ से आने वाले चुनिंदा उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाएगा. दरअसल, विश्व व्यापार संगठन को भेजे गए एक संदेश में भारत सरकार ने कहा कि वर्ष 2018 से 2023 तक यूरोपीय संघ के सुरक्षा उपायों की वजह से भारत को 4.41 अरब डॉलर का कुल व्यापार घाटा हुआ है जिस पर शुल्क संग्रह 1.10 अरब डॉलर होगा. इस हिसाब से भारत द्वारा रियायतों को निलंबित किए जाने पर यूरोपीय संघ में उत्पादित माल पर समान राशि का शुल्क एकत्रित होगा.

 यूरोपीय संघ ने  बढ़ाया सुरक्षा शुल्क

इस संदेश के अनुसार, पर्याप्त रूप से समान रियायतों को निलंबित करने के अपने अधिकार के प्रभावी प्रयोग के लिए भारत प्रस्तावित निलंबन को तुरंत प्रभावी करने और उत्पादों के साथ सीमा शुल्क दरों को समायोजित करने का अधिकार भी सुरक्षित रखता है. वहीं, भारत अपने अगले उचित कदमों के बारे में माल व्यापार परिषद और सुरक्षा समिति दोनों को सूचित करेगा. दरअसल, यूरोपीय संघ ने 25 प्रतिशत के कोटा-मुक्त शुल्क के साथ कुछ इस्पात उत्पाद श्रेणियों के आयात पर सुरक्षा शुल्क को 2026 तक बढ़ा दिया है.

बता दें कि इसे पहली बार 2018 में लगाया गया था जो बाद में जून 2024 तक बढ़ा दिया गया था. वहीं, ईयू ने 29 मई, 2024 को कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के अपने प्रस्ताव के बारे में विश्‍व व्‍यापार संगठन को सूचित किया. वहीं, भारत इस उपाय से प्रभावित देशों में से एक है.

बढ़ा भारत का निर्यात

दरअसल, वित्त वर्ष 2023-24 में यूरोपीय संघ को भारत का लौह एवं इस्पात और उनके उत्पादों का निर्यात बढ़कर 6.64 अरब डॉलर हो गया, जबकि 2022-23 में 6.1 अरब डॉलर था. ऐसे में भारत ने अन्य देशों के साथ मिलकर डब्ल्यूटीओ में यूरोपीय संघ द्वारा कुछ इस्पात उत्पादों के आयात पर सुरक्षा शुल्क को 2026 तक बढ़ाने के कदम पर चिंता जताई है. वहीं, इस मसले को स्पष्ट करते हुए एक अधिकारी ने कहा कि संबंधित उत्पादों के निर्यातक के रूप में भारत की पर्याप्त रुचि है और ईयू का यह कदम वैश्विक व्यापार नियमों के अनुरूप नहीं है. भारत और ईयू अधिकारियों ने इस मुद्दे पर पहले द्विपक्षीय परामर्श किया था, लेकिन दोनों पक्ष इस मामले पर आम सहमति नहीं बना पाए हैं.

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