Indo Pacific: हिंद-प्रशांत क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक चीन की बढ़ती दादागिरी अमेरिका सहित यूरोपीय यूनियन को टेंशन में डाल रही है. ऐसे में चीन को चित करने के लिए अमेरिका और यूरोपीय यूनियन भारत का साथ चाहते हैं. इन राष्ट्रों को पता है कि इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और माहिर खिलाड़ी भारत है. भौगोलिक परिस्थितियों के अलावा भारत के हिंद-प्रशांत क्षेत्र में एक विशेषज्ञ खिलाड़ी होने का मुख्य कारण चीन जैसे देश जितना शक्तिशाली होना है. ऐसे में इस क्षेत्र से लेकर दक्षिण चीन सागर तक भारत ही इकलौता देश है, जो चीन का मुकाबला कर सकता है. यहीं वजह है कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन अब भारत से दोस्ती और गहरी करना चाहते हैं.
US-EU ने मांगा भारत का सहयोग
बता दें कि चीन पर अपनी वार्ता के हिस्से के रूप में US और यूरोपीय संघ (EU) ने समुद्री क्षेत्र, ऊर्जा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपर्क सहित ग्लोबल चुनौतियों से निपटने में भारत का सहयोग मांगा है. इसके साथ ही सहयोग के महत्व पर चर्चा भी की है. भारत पर चर्चा दो दिवसीय ‘चीन पर यूएस-ईयू संघ वार्ता’ और ‘भारत-प्रशांत पर अमेरिका-यूरोपीय संघ उच्च स्तरीय परामर्श’ की छठी बैठक का हिस्सा थी. यह 9 और 10 सितंबर को आयोजित की गई थी. इस वार्ता का नेतृत्व अमेरिकी उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल और ईयू की ओर से यूरोपीय बाह्य कार्रवाई सेवा (ईईएएस) के महासचिव स्टेफानो सैनिनो ने किया.
यूएस और ईयू को चाहिए भारत का साथ
अमेरिका और ईयू दोनों पक्षों की ओर से कल, 11 सितंबर को जारी संयुक्त बयान बताया गया कि, “उन्होंने वैश्विक चुनौतियों, समुद्री क्षेत्र, सुरक्षा, ऊर्जा और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में संपर्क समेत अन्य मुद्दों पर भारत के साथ अमेरिका और यूरोपीय संघ के संबंधित सहयोग के महत्व पर चर्चा की. बैठक में, कैंपबेल और सैनिनो ने चीन द्वारा बड़ी मात्रा में दोहरे उपयोग वाली वस्तुओं और यूक्रेन के खिलाफ युद्ध के मैदान में रूस द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुओं के निर्यात तथा प्रतिबंधों की चोरी और उन्हें धोखा देने में चीन स्थित कंपनियों की निरंतर भागीदारी के बारे में गहरी और बढ़ती चिंता व्यक्त की.
चीन कर रहा रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे के लिए समर्थन
उन्होंने माना कि रूस के सैन्य-औद्योगिक अड्डे के लिए चीन का लगातार समर्थन रूस को यूक्रेन के खिलाफ अवैध युद्ध जारी रखने में मदद कर रहा है, जो ट्रांसअटलांटिक के साथ ही वैश्विक सुरक्षा और स्थिरता के लिए खतरा उत्पन्न करता है. उन्होंने अपनी अपेक्षा दोहराई कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के स्थायी सदस्य के रूप में चीन को संयुक्त राष्ट्र चार्टर समेत अंतरराष्ट्रीय कानून के समर्थन में कार्य करना चाहिए.
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