Bangladesh News: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस देश के कई विभागों में सुधारों के लिए 6 आयोग का गठन करने जा रहे हैं. इन आयोग का काम 1 अक्टूबर से शुरू होगा और जो अगले तीन महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. इन आयोगों के गठन के साथ ही बांग्लादेश के पुलिस, न्यायपालिका समेत संविधान और इलेक्शन सिस्टम में बदलाव किए जाएंगे.
दरअसल, बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस लगातार देश में बदलाव के लिए काम कर रहे हैं. देश के 6 विभागों में सुधार के लिए उन्होंने 6 कमीशन का गठन किया है. इस कमीशन के गठन का मकसद सार्वजनिक स्वामित्व, जवाबदेही और कल्याण पर आधारित एक सिस्टम बनाना बताया गया है.
मोहम्मद यूनुस ने किया ऐलान
इन कमिशन का ऐलान करते हुए मोहम्मद यूनुस ने कहा, “बांग्लादेश में फासीवाद या सत्तावादी शासन के फिर से उभरने से रोकने के लिए कुछ राष्ट्रीय सुधार करना जरूरी हो गया है.” उन्होंने आगे कहा कि इन सभी सुधारों का मुख्य उद्देश्य निष्पक्ष चुनाव और अच्छी सरकार बनाना है.
इन विभागों के लिए बने कमीशन
मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा कि अंतरिम सरकार ने न्यायपालिका, चुनाव प्रणाली, प्रशासन, पुलिस, भ्रष्टाचार निरोधक आयोग और संविधान में सुधार के लिए छह आयोग गठित करने का फैसला किया है. यूनुस ने बताया कि जस्टिस शाह अबू नईम मोमिनुर रहमान न्यायिक सुधार आयोग का नेतृत्व करेंगे, बदीउल आलम मजूमदार चुनाव प्रणाली सुधार आयोग का नेतृत्व करेंगे, अब्दुल मुईद चौधरी लोक प्रशासन सुधार आयोग का नेतृत्व करेंगे, सफ़र राज हुसैन पुलिस प्रशासन सुधार आयोग का नेतृत्व करेंगे, और इफ़्तेख़ारुज़्ज़मां भ्रष्टाचार विरोधी सुधार आयोग का नेतृत्व करेंगे.
राजनीतिक दलों के साथ होगी चर्चा
बता दें कि ये कमिशन अपना काम 1 अक्टूबर से शुरू करेंगे और अगले तीन महीनों में काम पूरा कर अपनी रिपोर्ट सौंपेंगे. इसको लेकर यूनुस ने कहा कि हर बॉडी के अध्यक्ष उनके मेंबर्स की ओर से चुने जाएंगे. वहीं, आयोग की ओर से दी गई रिपोर्ट पर प्रमुख राजनीतिक दलों के साथ चर्चा की जाएगी, फिर आखिर में छात्र संगठनों, सिविल सोसाइटी, राजनीतिक दलों और सरकार के प्रतिनिधियों के साथ तीन से सात दिनों तक बैठक चलेगी. ये बैठक आयोग की रिपोर्ट में दिए गए बदलावों को लेकर की जाएगी कि उनको किस तरह धरातल पर उतारा जाए.
मोहम्मद यूनुस ने अपने संबोधन में आगे कहा, “हमारा मानना है कि चुनाव की आड़ में लोगों पर मेजोरिटी का डोमिनेंस या कुशासन थोपना या सारी शक्ति एक शख्स, परिवार या समूह के हाथों में होना अस्वीकार्य है. आगे ऐसा न हो इसलिए सरकार चुनाव प्रणाली और सरकार के अन्य विभागों में बदलाव करने जा रही है.”