International News: अमेरिका की फूड एंड ड्रग अथॉरिटी यानी FDA अपनी एक जांच रिपोर्ट के चलते सवालों के घेरे मे आ गई है. हाल में ही FDA ने भारत और चीन में दवाओं की जांच के लिए एक अभियान चलाया था. हालांकि, FDA ने जांच के परिणामों की पड़ताल जब एक कमेटी ने की तो इसमें बड़े पैमाने पर हेर फेर की बात पता चली है.
जांच में दिखा बड़ा अंतर
दरअसल, एफडीए अमेरिका की फेडरल एजेंसी है. इस एजेंसी का काम दवाओं को अप्रूवल देना और उसकी गुणवत्ता की जांच पड़ताल करना है. फूड एंड ड्रग अथॉरिटी जनवरी 2014 से लेकर अप्रैल 2024 तक भारत और चीन में दवाओं की जांच के लिए एक अभियान चलाया था. इनके जांच अभियान के परिणामों के जांच के लिए एक कमेटी गठित की गई थी. जिसमें जांच के परिणामों की पड़ताल की तो इसमें काफी अंतर देखने को मिला.
सांसदों ने लिखा कमिशनर को पत्र
अब इस मामले में अमेरिकी सांसदों ने FDA एजेंसी के कमिशनर को खत लिख दिया है. एजेंसी के आयुक्त रॉबर्ट कैलिफ़ को लिखे शिकायत पत्र में सांसदों ने लिखा कि परिणामों में अंतर की वजह से एफडीए के विदेशी दवा निरीक्षण कार्यक्रम में संस्थागत कमजोरियां उजागर हो गई है. हालांकि, एफडीए के कई इंसपेक्शन ऑफिसर को कोई खामी नहीं मिली. वहीं, कई ऐसे भी थे जिन्होंने दोनों देशों में नियम पालन संबंधी शिकायतें दर्ज की.
परीक्षण में दिखा बड़ा अंतर
बता दें कि भारत में कुल 24 निरीक्षणों के दौरान दो निरीक्षकों को एक भी नियमों की अनदेखी का मुद्दा नहीं मिला. जबकि कुछ एफडीए निरीक्षकों को अपने सभी या लगभग सभी निरीक्षणों के दौरान भारत और चीन में नियम पालन संबंधी समस्याएं मिलीं. वहीं, एक अन्य निरीक्षक ने चीन में 23 में से 20 निरीक्षणों यानी 85 प्रतिशत में शून्य अनुपालन मुद्दे पाए, जबकि इसी दौरान लगभग आधे घरेलू निरीक्षणों में अनुपालन मुद्दे पाए गए. वहीं, अब जांच कमेटी ने एफडीए के इन परिणामों को असामान्य बताया है. क्योंकि चीन और भारत में लगातार दवाइओं के निर्माण और गुणवत्ता पर सवाल उठते रहे हैं.
कमेटी ने जांच की मांग की
ज्ञात हो कि 16 एफडीए निरीक्षकों ने, भारत में सामूहिक रूप से 325 से अधिक निरीक्षण किए और हरमें अनुपालन संबंधी समस्याएं पाईं. वहीं, कठोर निरीक्षणों का पैटर्न कैसा दिखना चाहिए, इसके उपाय के रूप में, समिति ने पेशेवर प्रतिष्ठा वाले 3 एफडीए निरीक्षकों के निरीक्षण परिणामों की समीक्षा की, जिन्होंने अध्ययन अवधि के दौरान चीन या भारत में कम से कम 10 निरीक्षण किए थे. इन विशेषज्ञ निरीक्षकों ने चीन में केवल 6.7 से 11.4 प्रतिशत की दर से और भारत में शून्य से 9.5 प्रतिशत की दर से निरीक्षण के दौरान कोई अनुपालन समस्या नहीं मिलने की सूचना दी. अब कमेटी की तरफ से इसमें और जांच की मांग की गई है.