Iran: ईरान के संयुक्त राष्ट्र मिशन का बड़ा बयान सामने आया है. ईरान की ओर से कहा गया है कि वह उस स्थिति में अमेरिका के साथ बातचीत कर सकता है जब वार्ता उसके परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण की चिंताओं तक ही सीमित हो.
खामनेई ने वार्ता से किया था इनकार
संयुक्त राष्ट्र के लिए ईरान के मिशन ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘अगर वार्ता उसके परमाणु कार्यक्रम के सैन्यीकरण के बारे में चिंताओं तक ही सीमित है तो ऐसी चर्चाओं पर विचार किया जा सकता है.’’ इससे एक दिन पहले ईरान के सुप्रीम लीडर अली खामनेई ने अमेरिका के साथ वार्ता को अस्वीकार कर दिया था. अली खामनेई ने कहा था कि उसका मकसद ईरान के मिसाइल कार्यक्रम पर रोक लगाना है.
डोनाल्ड ट्रंप ने भेजा था पत्र
दरअसल, हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने ईरान को एक पत्र भेजा है, जिसमें उन्होंने तेहरान के तेजी से बढ़ते परमाणु कार्यक्रम पर लगाम लगाने और अपने पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका को जिस परमाणु समझौते से अलग कर लिया था, उसके स्थान पर एक नया समझौता करने की बात की है. डोनाल्ड ट्रंप की बात के बाद सुप्रीम लीडर खामनेई ने वार्ता से मना कर दिया था. खामनेई ने कहा कि अमेरिका की मांगें सेना से जुड़ी और ईरान के क्षेत्रीय प्रभाव से जुड़ी होंगी. उन्होंने कहा था कि ऐसी वार्ताओं से ईरान और पश्चिमी देश के बीच की समस्याओं का समाधान नहीं होगा.
‘ईरान को रोकना है पहली प्राथमिकता‘- ट्रंप
जानकारी दें कि, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु शांति समझौता करने की पेशकश करते हुए चेतावनी भी दी थी. डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि ईरान नहीं मानता है, तो यह उसके लिए घातक साबित होगा. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक कार्यकारी आदेश पर हस्ताक्षर भी किए थे. ट्रेजरी विभाग को निर्देश दिया गया था कि वह ईरान पर सख्त आर्थिक प्रतिबंध लगाए. एक इंटरव्यू के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि ईरान को परमाणु हथियार हासिल करने से रोकना उनकी पहली प्राथमिकता है.
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