Israel Hamas War: रूस के राष्ट्रपति पुतिन की तर्ज पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ अपनी दोस्ती को और भी मजबूत कर रहे है. दरअसल, नेतन्याहू ने गाजा में सघर्ष विराम को आगे बढ़ाने के लिए अमेरिका के प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त की है.
बता दें कि रविवार को इजरायली सरकार ने कहा कि वह गाजा में संघर्ष विराम के प्रथम चरण को रमजान और यहूदी पर्व ‘पासओवर’ तक बढ़ाने के प्रस्ताव का समर्थन करती है. वहीं, हमास ने संघर्ष विराम के दूसरे चरण पर बातचीत करने पर जोर दिया है. इजरायली कार्यालय का यह बयान पहले चरण के संघर्ष विराम के समाप्त होने के कुछ समय बाद आया.
संघर्ष विराम आगे बढ़ा तो रिहा होंगे कैदी
हालांकि दूसरे चरण के संघर्ष विराम के लिए बातचीत शुरू हो गई है जिसका मकसद युद्ध को समाप्त करना और गाजा में बंधक बनाए गए सभी शेष जीवित लोगों को छोड़ना है. कार्यालय द्वारा जारी बयान में इसके बारे में नई जानकारी दी, जिसे इजरायल ने अमेरिकी प्रस्ताव बताया है. इसमें कहा गया कि “पासओवर या 20 अप्रैल तक संघर्ष विराम को आगे बढ़ाया जाएगा. पहले दिन, आधे बंधकों को, चाहे वे जीवित हों या मृत, छोड़ा जाएगा. यदि स्थायी युद्ध पिराम पर सहमति बन जाती है, तो बाकी को भी रिहा कर दिया जाएगा.
हमास ने नहीं की कोई टिप्पणी
बयान के मुताबिक, यह प्रस्ताव इसलिए रखा गया क्योंकि अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ को लगा कि इस स्तर पर युद्ध समाप्त करने के लिए पक्षों के बीच सहमति बनने की कोई संभावना नहीं है, तथा स्थायी युद्ध विराम पर बातचीत के लिए अधिक समय की आवश्यकता है. हालांकि हमास की ओर से इस पर तत्काल कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है.
दरअसल, हमास ने पहले ही संघर्ष विराम के पहले चरण को 42 दिनों के लिए बढ़ाने के इजरायली प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया था. उनका कहना था कि ऐसा करना संघर्ष विराम समझौते की शर्तों के खिलाफ है.
दूसरे चरण के युद्ध विराम वार्ता में ये देश रहे शामिल
युद्ध विराम के दूसरे चरण की बातचीत में इजरायल के अधिकारी और मध्यस्थ कतर, मिस्र और अमेरिका के अफसर शामिल हुए. लेकिन हमास इसका हिस्सा नहीं बना. वहीं, मिस्र और कतर के मध्यस्थों ने बैठक को लेकर बताया कि संघर्ष विराम समझौते की शर्तों के अनुसार, दूसरे चरण पर बातचीत जारी रहने तक लड़ाई फिर से शुरू नहीं की जाए.
वहीं, इजरायल के नए बयान में कहा गया है कि यदि उसे (हमास) लगता है कि वार्ता अप्रभावी है तो वह लड़ाई फिर से शुरू कर सकता है. इसमें हमास द्वारा पहले चरण के विस्तार के प्रस्ताव को स्वीकार करने से इनकार करने का भी उल्लेख किया गया है.
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