Israel Lebanon War: इजरायली सेना लेबनान पर मिसाइलों और बमों की लगातार बारिश कर रही है. इजरायली सैनिकों के हमले में हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मार गिराया. नसरुल्ला की मौत से कुछ देश दुखी हैं, तो कुछ खुश… वहीं, इन सबके बीच अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने हिजबुल्लाह चीफ हसन नसरल्लाह को मारना उचित बताया है.
आतंक के शासन से मुक्ति
दरअसल, लेबनान के चरमपंथी समूह हिजबुल्ला को पश्चिम एशिया में एक शक्तिशाली अर्धसैनिक एवं राजनीतिक ताकत में तब्दील करने में नसरुल्ला का अहम योगदान रहा है. जिसे इजरायली सैनिकों ने मार गिराया है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने शनिवार को हिज्बुल्ला नेता हसन नसरुल्ला की मौत को उसके चार दशक के आतंक के शासन से मुक्ति का एक तरीका बताया. बाइडेन ने बताया कि नसरुल्ला को निशाना उस संघर्ष के व्यापक परिप्रेक्ष्य में बनाया गया, जो सात अक्टूबर, 2023 को हमास द्वारा इजरायलियों के नरसंहार के साथ शुरू हुआ था.
बाइडन ने एक बयान में कहा, ‘‘(उस हमले के) अगले दिन नसरुल्ला ने हमास के साथ हाथ मिलाने और इजराइल के खिलाफ ‘उत्तरी मोर्चा’ खोलने का दुर्भाग्यपूर्ण निर्णय लिया.” उन्होंने यह भी कहा कि नसरुल्ला के नेतृत्व में हिजबुल्ला हजारों अमेरिकियों की मौत के लिए जिम्मेदार है.
बता दें कि 64 साल के नसरुल्ला ने 2006 में इजराइल के खिलाफ हिजबुल्ला के युद्ध का नेतृत्व किया था. उसी के नेतृत्व में समूह पड़ोसी देश सीरिया के क्रूर संघर्ष में शामिल हुआ था.
बेरूत में हुई मौत
बेरूत में इजराइली हवाई हमले में संगठन का सरगना मारा गया और जहां वह रह रहा था, हमले में वहां कई बहुमंजिला इमारतें ढह गईं. हिजबुल्ला ने एक बयान में कहा, ‘‘हिजबुल्ला के महासचिव सैयद हसन नसरुल्ला अपने साथी महान शहीदों में शामिल हो गए हैं, जिनका उन्होंने 30 वर्षों तक एक जीत से दूसरी जीत तक नेतृत्व किया था.’’ समूह ने कहा, ‘‘वह ‘‘यरूशलम के रास्ते पर शहीद हो गए’’, नसरुल्लाह ने 1992 में इजराइली मिसाइल हमले में अपने पूर्ववर्ती की मौत के बाद हिजबुल्ला की कमान संभाली थी और तीन दशक तक संगठन का नेतृत्व किया. उसके नेतृत्व संभालने के पांच साल बाद अमेरिका ने हिजबुल्ला को आतंकवादी संगठन घोषित कर दिया था.
मिली थी सैय्यद की उपाधि
नसरुल्ला को उसके समर्थक करिश्माई और निपुण रणनीतिकार मानते थे. उसने हिजबुल्ला को इजराइल के कट्टर दुश्मन के रूप में परिवर्तित किया और ईरान के शीर्ष धार्मिक नेताओं और हमास जैसे फलस्तीनी आतंकवादी समूहों के साथ गठबंधन को मजबूत किया. वह अपने लेबनानी शिया अनुयायियों का आदर्श तथा अरब एवं इस्लामी जगत के लाखों लोगों के बीच सम्मानित था. उसे सैय्यद की उपाधि दी गई थी जो एक सम्मानजनक उपाधि थी जिसका उद्देश्य शिया धर्मगुरु के वंश को दर्शाना था, जो इस्लाम के संस्थापक पैगम्बर मुहम्मद तक जाती है.