Japan New Law: आपने अक्सर पार्क में लोगों को जोर जोर से हंसते हुए देखा होगा. हंसना सेहत के लिए बेहद फायदेमंद माना जाता है. यह दुनिया की सबसे अच्छी भावनाओं में से एक है. योग में तो हंसी को कई बीमारियों का इलाज माना गया है. हंसी हमारे न्यूरोलॉजिकल, शारीरिक, भावनात्मक, संज्ञानात्मक और सामाजिक स्वास्थ्य और खुशहाली में कई तरह से मदद करती है. लेकिन अगर आपको कोई हंसने के लिए मजबूर करें तो आप क्या करेंगे. दरअसल, एक देश में अजीब सा नियम लागू किया गया है. इसके अनुसार, लोगों को दिन में कम से कम एक बार हंसना जरूरी होगा.
इस देश में नया कानून
जिस देश की हम बात कर रहे हैं उसका नाम है जापान. बता दें कि जापान के यामागाटा प्रांत में एक स्थानीय सरकार ने एक नियम लागू किया है. नियम के तहत निवासियों के बेहतर शारीरिक और मानसिक सेहत को बढ़ावा देने के लिए रोज कम से कम एक बार हंसने के लिए कहा गया है.
यह नियम सुझाव
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के मुताबिक, राज्य में यह कानून पिछले हफ्ते लागू किया गया था. यह एक स्थानीय यूनिवर्सिटी के शोध पर आधारित है. इसमें सुझाव दिया गया था कि नियमित रूप से हंसने से दिल की बीमारियों का खतरा कम होता है और जीवन लंबा होता है. नए कानून के अंतर्गत नागरिकों को हर दिन कम से कम एक बार हंसना जरूरी होगा. इसके अलावा, यह भी कहा गया है कि कारोबारी ऐसा माहौल तैयार करें जो हंसी-खुशी से परिपूर्ण हो. हर महीने की आठ तारीख को लाफ्टर डे के रूप में मनाया जाएगा.
152 लोगों पर शोध
बता दें कि जिस रिसर्च के बेस पर यह कानून लागू किया गया है, उसे यामागाटा विश्वविद्यालय ने साल 2019 में अंजाम दिया था. शोध में पता चला था कि जो लोग सप्ताह में कम से कम एक बार हंसते हैं उनमें कार्डियोवैस्क्युलर समस्याएं होने की संभावना कम होती हैं. इस शोध में 152 लोगों को शामिल किया गया था. इनकी उम्र 17 से 40 के बीच थी. इसमें मुस्कुराने को या चुपचाप हंसने को हंसी के रूप में नहीं रखा गया है.
विपक्षियों ने किया कानून का विरोध
हंसने वाले कानून को लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्यों ने पेश और पारित किया. वहीं विपक्ष ने इस कानून की आलोचना करते हुए कहा कि यह कानून मौलिक मानवाधिकारों का हनन करने वाला है. जापान कम्युनिस्ट पार्टी के टोरू सेकी ने कहा कि हंसना या न हंसना हर व्यक्ति का मौलिक अधिकार है जो संविधान उपलब्ध कराता है. वहीं कुछ लोगों का मानना है कि यह उन लोगों के साथ भेदभाव करता है, जो किसी बीमारी के चलते हंसने में असमर्थ है. लेकिन, कुछ संविधान विशेषज्ञों ने इस कानून का सपोर्ट किया है.
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