Justin Tudo: कनाडा ने दिया भारत और चीन को तगड़ा झटका, इन चीजों पर बढ़ाया टैक्स

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Justin Tudo, Canada News: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो विदेश नीति से जुड़े कई सख्त फैसले ले रहे हैं. जस्टिन ट्रूडो ने इस साल दो ऐसे फैसले लिए हैं, जिनसे भारत और चीन दोनों को एक साथ बड़ा झटका लगा है. बता दें कि कनाडा की ट्रूडो सरकार ने इलेक्ट्रिक कारों और कम वेतन वाली नौकरियों से विदेशी लोगों और कंपनियों को दूर रखने के लिए कदम उठाए हैं.

चीनी व्हीकल पर 100 फीसद टैक्स

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इन फैसलों का असर सीधे तौर पर देश की विदेश नीति पर पढ़ रहा है. ट्रूडो ने चीन की इलेक्ट्रिक कार कंपनियों को झटका देते हुए फैसला किया है कि देश में चीनी इलेक्ट्रिक व्हीकल पर 100 फीसद टैक्स लगाया जाएगा. इसके अलाव चीनी स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर भी 25 फीसद ज्यादा टैक्स लगाने का फैसला किया है.

कारों पर बढ़ाया टैक्स

कनाडा सरकार ने कारों पर टैक्स बढ़ाने का फैसला अमेरिका में चीनी कारों के ज्यादा आयात को रोकने के लिए उठाया है. ठीक ऐसे ही फैसले अमेरिका और यूरोपीय संघ पहले ले चुके हैं. अमेरिका में चीनी कारों पर 100 तो, यूरोपीय संघ ने 38 फीसद टैक्स लगाया है. कनाडा सरकार के इस फैसले से घरेलू इलेक्ट्रिक बाजार मजबूत होगा.

कनाडा ने चीनी कारों पर टैक्स बढ़ाने का तर्क देते हुए कहा कि चीनी कंपनियां पर्यावरणीय और श्रम मानकों का ध्यान नहीं रख रही हैं. कनाडा की ये नई नीति 1 अक्टूबर से लागू की जाएगी. फिलहाल कनाडा का ऑटोमोटिव बाजार 1,25,000 से ज्यादा लोगों को रोजगार देता है और सरकार इसको बढ़ाने के लिए कई अरब डॉलर की मदद भी प्रदान कर रही है.

कनाडाई युवाओं को ज्यादा से ज्यादा दी जाएं नौकरी

वहीं, दूसरी तरफ पीएम जस्टिन ट्रूडो ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, ‘हम कनाडा में कम वेतन वाले अस्थायी विदेशी श्रमिकों की संख्या कम कर रहे हैं. देश का लेबर मार्केट काफी बदल गया है. अब समय आ गया है कि हमारी कंपनियां कनाडाई श्रमिकों और युवाओं को ज्यादा से ज्यादा नौकरियां दें.’ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के इस फैसले का असर कनाडा में कम सैलरी पर काम करने वाले और अस्थाई नौकरी करने वाले लाखों विदेशियों पर होने वाला है. कनाडा में रहने वाले विदेशियों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीय सिखों और छात्रों की है. जो वहां पर रह कर छोटे-मोटे कारोबार और कंपनियों में काम करते हैं.

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