Kargil War: पाक एक्सपर्ट का बयान, कारगिल जंग से आज तक नहीं उबरा पाकिस्ता‍न

Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Kargil War: आज, 26 जुलाई को पूरा भारत कारगिल विजय दिवस का 25वां वर्षगांठ मना रहा है. आज का दिन हमारे भारतीय सैनिकों की वीरता और बलिदान की याद दिलाता है. 1999 में आज ही के दिन भारतीय सेना ने पाकिस्तान के सैनिकों को भगाकर कारगिल की सभी चोटियों पर कब्जा कर लिया था. भारत के लिए यह बहुत बड़ी जीत थी. पाकिस्‍तान परमाणु संपन्‍न देश होने के बावजूद भी भारत से सामने नहीं टिक पाया. वहीं आज तक पाकिस्‍तान इस जंग से उबर नहीं पाया है. कार‍गिल युद्ध को पाकिस्तान के एक्‍सपर्ट पाकिस्तान की सबसे बड़ी भूल बताते हैं.

कारगिल युद्ध ऐसी जंग थी, जिससे पाक अभी तक…

कारगिल युद्ध को लेकर पाकिस्तानी पत्रकार आरजू काजमी ने पाकिस्तान के विशेषज्ञ डॉ इश्तियाक अहमद से अपने यूट्यूब चैनल पर बात की है. इस दौरान पाकिस्‍तानी एक्‍सपर्ट ने कहा कि कारगिल युद्ध ऐसी जंग थी, जिससे पाकिस्तान अभी तक उबर नहीं पाया है. डॉ अहमद ने बताया कि मई 1998 में भारत और पाकिस्तान दोनों देशों ने परमाणु परीक्षण किया था और आधिकारिक तौर पर दोनों देश परमाणु संपन्न बन गए थे. इसके बाद दोनों देशों के नेताओं ने अमन के रास्ते पर आने का विचार बनाया. क्‍योंकि परमाणु हथियारों से जंग तो हो नहीं सकती है.

जनरल ने पीएम को सल्यूट करने से किया था इनकार

पत्रकार से बात करते हुए इश्तियाक अहमद ने आगे बताया कि अमन के रास्ते पर जाना दोनों देशों के लिए अहम कदम था. इसका सबसे ज्‍यादा क्रेडिट भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को जाता है. लेकिन नवाज शरीफ को भी इसका क्रेडिट जाना चाहिए. एक्‍सपर्ट  अहमद ने बताया कि साल 1999 में जब भारत के पीएम अटल बिहारी वाजपेयी पाकिस्तान आए तो उस समय के पाकिस्तानी सेना के जनरल परवेज मुशर्रफ ने सल्यूट करने से इनकार कर दिया. फिर बाद में तख्तापलट करके देश के शासक बन गए. उसी समय यह स्‍पष्‍ट हो गया था कि पाकिस्तान की सेना सरकार के नियंत्रण से बाहर है. साथ ही उस समय आईएसआई के इशारे पर जमात-ए-इस्लामी ने प्रधानमंत्री वाजपेयी पर पत्थर भी फेंके थे.

सर्दी के दौरान पाकिस्तानियों ने की घुसपैठ

पा‍क एक्‍सपर्ट इश्तियाक अहमद ने बताया कि डॉ अहमद ने बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी का पाकिस्तान दौरा काफी सफल रहा. भारत पाक के बीच लाहौर समझौता हुआ और नए रिश्ते की शुरुआत हुई. लेकिन पीएम वाजपेयी के वापस लौटने के कुछ महीने बाद ही पता चला कि पाकिस्तानी सेना ने कारगिल के कुछ हिस्‍सो में घुसपैठ कर लिया है. दरअसल सर्दियों के दौरान भारत की सेना कारगिल से वापस लौट आती थी, जिसका फायदा पाकिस्तानी सेना ने उठाया था. इससे यह साफ हो जाता है कि जब भारत के प्रधानमंत्री दोनों देशों के बीच रिश्ते मजबूत कर रहे थे, उसी समय पाकिस्तानी सेना कारगिल में भारत के खिलाफ साजिश रचने में लगी थी.

अपने सैनिकों को पाकिस्तान ने बताया था मुजाहिद्दीनी

बातचीत में इश्तियाक अहमद ने आगे कहा कि पाकिस्तानी जनरलों ने जो किया, इससे पाकिस्तान दुनियाभर में एक गैर भरोसेमंद देश बन गया. कोई भी ऐसे देश पर भरोसा नहीं कर सकता था, जो एक ओर दोस्ती का नाटक कर रहा हो और दूसरी ओर उसके इलाके में जाकर कब्‍जा कर रहा हो. कारगिल युद्ध के बाद दुनियाभर में पाकिस्तान एक धूर्त देश साबित हुआ. युद्ध के मैदान में भारत ने तोप और एयर फोर्स भी उतार दिया, लेकिन पाकिस्तान ने इसका कोई जवाब नहीं दिया. इससे स्‍पष्‍ट हो गया कि परमाणु बम होने के बावजूद भी पाकिस्तान सीधे तौर पर भारत का मुकाबला करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया. इस दौरान पाकिस्तान ने अपनी सैनिकों को मुजाहिद्दीनी बताकर अपना पल्ला झाड़ लिया. लेकिन इससे साफ हो गया कि पाकिस्तान अपनी सेना का भी सम्मान नहीं करता.

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