Kenya Violent Protests: पूर्वी अफ्रीकी देश केन्या में सरकार ने ज्यादा टैक्स वसूलने के लिए एक भारी भरकम कानून बनाया. जिसके विरोध में जनता सड़कों पर उतर आई और सरकार के खिलाफ विद्रोह कर दिया. प्रदर्शनकारियों ने संसद में घुसकर जमकर हंगामा किया. संसद के एक हिस्से को आग के हवाले कर दिया. इस दौरान पुलिस की फायरिंग में 22 लोग मार दिए गए. विरोध प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि केन्या सरकार को जनता के सामने झुकना पड़ा. अब सरकार ने विवादित टैक्स कानून को वापस लेने की घोषणा की है.
‘केन्या के लोगों का फैसला स्वीकर…‘
केन्या में हालात इस कदर बिगड़ गए कि राष्ट्रपति रूटो को 24 घंटे से भी कम समय में दो बार राष्ट्र को संबोधित करना पड़ा. रॉयटर्स के रिपोर्ट के अनुसार, केन्या के राष्ट्रपति विलियम रुटों ने कहा कि वह मंगलवार को हुए उग्र विरोध प्रदर्शनों के बाद विवादास्पद कर वृद्धि वाले वित्त विधेयक वापस ले रहे हैं. देश के नाम अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि यह स्पष्ट है कि केन्या की जनता इस विधेयक को नहीं लाना चाहती, उन्हें यह मंजूर नहीं है. मैं उनके फैसले के आगे सिर झुकाता हूं और उनके फैसले को स्वीकर करता हूं. मैं इस बिल पर दस्तखत नहीं करूंगा.
Kenyan President withdraws 'controversial' finance bill after deadly protests
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— ANI Digital (@ani_digital) June 26, 2024
युवाओं के साथ बात करेंगे रूटो
जानकारी के अनुसार, केन्याई राष्ट्रपति विलियम रूटो ने मंगलवार को हिंसा और अराजकता के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का ऐलान किया था. केन्या राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुताबिक, टैक्स कानून के खिलाफ हुए प्रदर्शनों में कम से कम 22 लोगों की मौत हो गई, वहीं सैकड़ों लोग घायल हो गए हैं. अब राष्ट्रपति रुटो ने कहा कि वह युवाओं के साथ बातचीत करेंगे, उन्हें समझाने की कोशिश करेंगे कि आखिर इस तरह के कानून देश के लिए कितने आवश्यक हैं. प्रस्तावित टैक्स कानून के खिलाफ जब लोग सड़कों पर उतरे तो शुरुआत में राष्ट्रपति रूटो ने ताकत के दम पर रोकना चाहा, लेकिन जब प्रदर्शनकारी संसद में घुस गए और आगजनी शुरू कर दी तो उन्हें घुटने टेकना पड़ा.
राष्ट्रपति ने 24 घंटे में दो बार राष्ट्र को किया संबोधित
हालात बेकाबू होता देख राष्ट्रपति ने 24 घंटे में दो बार राष्ट्र को संबोधित किया. अपने संबोधन में राष्ट्रपति ने बताया कि टैक्स बढ़ाना देश के लिए कितना जरूरी था. देश 80 बिलियन डॉलर के कर्ज में डूबा हुआ है, उसके राजस्व का 35 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ इसका ब्याज चुकाने में जा रहा है. अगर हम कुछ कर्ज चुकाने में सफल रहते तो किसानों, छात्रों और शिक्षकों को लाभ होता. हालांकि, बाद में राष्ट्रपति ने स्वीकार किया कि लोग उनके साथ नहीं हैं.
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