Lahore Fort: एक अमेरिकी शोधकर्ता ने लाहौर किले में सिख साम्राज्य (1799-1849) के समय के लगभग 100 स्मारकों की पहचान की है, जो इसके ऐतिहासिक महत्व को दर्शाते हैं. हालांकि अमेरिकी शोधकर्ता द्वारा खोजे गए इस किले में इस समय करीब 30 स्मारक मौजूद नहीं है. दरअसल, सिख समाज के दौरान लाहौर किले और इसके ऐतिहासिक महत्व की व्यापक जानकारी देने के लिए सरकारी निकाय ‘वाल्ड सिटी ऑफ लाहौर अथॉरिटी’ (डब्ल्यूसीएलए) ने डॉ तरुणजीत सिंह बुटालिया को सिख शासन के दौरान लाहौर किले पर एक ‘टूर गाइडबुक’ लिखने के लिए नियुक्त किया है.
सिख साम्राज्य की सत्ता केंद्र रहा लाहौर किला
वहीं, डॉ बुटालिया ने एक प्रेस कॉफ्रेन्स में कहा कि लाहौर किला, सिख मानस में गहराई से समाया एक भावनात्मक स्मारक है, जो लगभग आधी सदी तक सिख साम्राज्य के लिए सत्ता केंद्र रहा है. यह मेरे दिल में एक विशेष स्थान रखता है, क्योंकि फारसी अभिलेखों के मुताबिक, मेरे पूर्वजों ने सिख दरबार में सम्मानित पदों पर कार्य किया था. उन्होंने कहा कि भारत में सिखों के लिए ये जानना बहुत जरूरी है कि साल 1947 में सिख विरासत और पूजा स्थल दुनिया के दो हिस्सों में विभाजित हो गए और लंबे समय तक भारत के सिख पाकिस्तान में अपने ऐतिहासिक स्थलों से कटे रहे.
क्या है लाहौर किले का इतिहास?
बता दें कि लाहौर किले का मुगल इतिहास 16वीं शताब्दी में उस समय से शुरू होता है, जब बादशाह अकबर ने इसे बनवाया था. हालांकि यह किला आधी सदी तक सिख साम्राज्य के अधीन रहा, लेकिन साल 1799 में पंजाब के सिख शासक ने इस किले को जीत लिया और 1849 तक उनके नियंत्रण में रहा. इसके बाद ब्रिटिश साम्राज्य ने इसे सेना की छावनी में बदल दिया.
इस दौरान महाराजा रणजीत सिंह, महाराजा खड़क सिंह, कंवर नौनिहाल सिंह और महाराजा शेर सिंह ने किले की कई संरचनाओं को संरक्षित किया तथा हजूरी बाग और इसकी शानदार बारादरी सहित कई नई संरचनाओं का निर्माण किया.
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