Malaria Vaccine: अफ्रीका में लॉन्च हुई SII की मलेरिया वैक्सीन ‘R21 मैट्रिक्स एम’, पिछले साल ही WHO से मिली थी मंजूरी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Malaria Vaccine: सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई एक हाई एफिसिएंसी वाली मलेरिया वैक्सीन सोमवार को लॉन्च हुई. जिसके बाद Cote d’Ivoire ऐसा पहला देश बन गया है, जिसने पश्चिमी अफ्रीका में R21/Matrix-M वैक्सीन का इस्‍तेमाल शुरू कर दिया है.  हालांकि इस वैक्‍सीन को पिछले साल ही विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंजूरी दे दी थी.

इस वैक्सीन को लेकर कहा जा रहा है कि यह एक हार्ड रेगुलेट्री प्रोसेस और क्लीनिकल जांच से गुजरी है. वहीं, सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीओ अदार पूनावाला ने इस वैक्‍सीन के लॉन्च होने के बाद कहा कि आखिरकार मलेरिया के बोझ को कम करना नजर में आ ही गया. उन्‍होंने कहा कि Oxford और Novavax में हमारे पार्टनर्स के साथ सालों के मेहनत के चलते R21/Matrix-M™ वैक्सीन के रोल-आउट की शुरुआत एक मील का पत्थर है.

घातक बीमारी के बोझ को कम करेगी वैक्‍सीन

सीओ ने कहा कि सस्ती और बड़ी बीमारी की रोकथाम के लिए दवा का मिलना हर व्‍यक्ति का अधिकार है. यही वजह है कि हमने R21 की 100 मिलियन खुराक को प्रोड्यूस करने पर जोर दिया, जो लाखों जिंदगियां बचाने के साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए इस घातक बीमारी के बोझ को कम करेगी.

सबसे पहले बच्चों को लगेगी वैक्सीन  

आपको बता दें कि वैक्सीन लॉन्च होने के बाद शुरूआती चरण में  पश्चिमी अफ्रिका के Cote d’Ivoire के करीब 16 इलाकों में 0 से 23 महीने की आयु के लगभग 2,50,000 बच्चों को यह वैक्सीन लगाई जाएगी. जिसके लिए कुल 656,600 खुराकें प्राप्त हुई हैं.

एक डोज की कीमत

पूनावाला ने आगे रोल-आउट पर बात करते हुए  कहा कि फिलहाल वैक्सीन की 25 मिलियन खुराकें बनाई हैं और इस आंकड़े को सालाना 100 मिलियन खुराक तक बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. जबकि इस वैक्‍सीन के प्रति खुराक के कीमत की बात करें तो 4 अमेरिकी डॉलर से भी कम कीमत पर पेश कर रही है. वहीं, भारतीय रूपये की बात करें यह 334.31  रुपये होंगे.

एसएआईआई को मिला था लाइसेंस

बता दें कि जब मलेरिया वैक्सीन को WHO से मंजूरी मिली थी. उस समय पुणे स्थित एसएआईआई को टीके तैयार करने का लाइसेंस दिया गया है. और कंपनी पहले ही सालाना 10 करोड़ खुराक तैयार करने की क्षमता प्राप्‍त कर चुकी है, जो अगले दो साल में दोगुनी हो जाएगी. फिलहाल इस टीके का इस्‍तेमाल घाना, नाइजीरिया और बुरकिना फासो में किया जा रहा है.

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