चीन की बढ़ी टेंशन! भारत से फिर ब्रह्मोस खरीदना चाहता है फिलिपींस

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Manila: चीन की हरकतों से परेशान फिलिपींस ने दक्षिण चीन सागर की ओर दुनिया की सबसे तेज सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रहमोस का पहला बेस तैयार कर दिया है. यहां से जब चाहे तब फिलिपींस चीन के युद्धपोतों, ड्रोन्स, विमानों आदि को टारगेट कर सकता है.  बता दें कि साल 2022 में फिलिपींस ने भारत से ब्रह्मोस की खरीदारी के लिए 3131 करोड़ रुपए का समझौता किया था. दो साल बाद भारत ने फिलिपींस को ब्रह्मोस सौंप दी है.

अब जानकारी मिली है कि फिलीपीन मरीन कॉर्प्स (PMC) ने 2026 तक तट-आधारित सुपरसोनिक एंटी-शिप मिसाइल की दो अतिरिक्त बैटरियों के साथ अपनी तटीय सुरक्षा को मजबूत करने की योजना बनाई है. पहले से ही PMC को तीन ब्रह्मोस बैटरियां मिलने वाली हैं. प्रत्येक बैटरी में चार लॉन्चर होते हैं और हर लांचर 290 किमी तक लक्ष्य को भेद सकता है.

अतिरिक्‍त ब्रह्मोस खरीदना चाहता है फिलिपींस

बता दें कि फिलिपींस एक बार फिर भारत से ब्रह्मोस खरीदना चाहता है. इससे चीन की टेंशन बढ़ने वाली है. फिलीपींस की संभावित अतिरिक्त खरीद से भारत के रक्षा निर्यात को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही पूर्वी एशियाई हथियारों की होड़ के बीच ब्रह्मोस की मार्केटिंग होगी. रिपोर्ट के अनुसार, फिलीपीन सेना मिसाइलों की खरीद के बारे में विचार कर रही है, जो संभावित रूप से फिलीपींस को भूमि और नौसैनिक हमलों के लिए हथियार देगा. रिपोर्ट के कहा गया कि ब्रह्मोस की उच्च गति और लंबी दूरी तक मार करने की क्षमता इसे समुद्री खतरों के खिलाफ एक दुर्जेय हथियार बनाता है. इससे फिलीपींस की तटीय रक्षा मजबूत होगी.

दोनों देशों का चीन से तनाव

डब्‍ल्‍यूआईओएन की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिण चीन सागर में मनीला की चीन के साथ और दिल्ली की हिमालय में चीन के साथ तनाव के बीच भारत और फिलीपींस के रक्षा संबंध गहरे हुए हैं. इसमें कहा गया है कि चीन की आक्रामक कार्रवाइयों का मुकाबला करने के लिए फिलीपींस के लिए ब्रह्मोस मिसाइल की डिलीवरी अहम है. फिलिपींस को ब्रह्मोस निर्यात करने का फैसला एक रणनीतिक बदलाव का प्रतीक है. चीन के साथ अपने तनावपूर्ण संबंधों के वजह से हिंद महासागर से परे हिंद-प्रशांत क्षेत्र तक अपना प्रभाव बढ़ा रहा है.

फिलीपींस हो रहा मजबूत

अगर फिलीपींस अतिरिक्त ब्रह्मोस मिसाइल की खरीद का का विकल्प चुनता है तो यह अमेरिका और सहयोगी रक्षा योजनाकारों को संकेत देगा कि वह चीनी सैन्य शक्ति के खिलाफ जितना असहाय लगता है, उतना है नहीं. इस तरह के अधिग्रहण से पता चलेगा कि देश एक रक्षात्मक फॉरवर्ड ऑपरेटिंग बेस है. यूएस और उसके सहयोगी रक्षा योजनाकारों को इसके क्षेत्रों पर व्यापक सैन्य उपस्थिति के लिए निवेश करना चाहिए.

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