Marco Rubio: अमेरिका के राष्ट्रपति चुनावों में ऐतिहासिक जीत दर्ज करने के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने अपने नए टीम का भी चयन करना शुरू कर दिया है. ऐसे में सोमवार को ट्रंप ने अमेरिकी सीनेटर मार्को रूबियो को अपना विदेश मंत्री चुना है. दरअसल, मार्को रुबियो अमेरिका के कट्टर भू-राजनीतिक दुश्मनों चीन, ईरान और क्यूबा के खिलाफ बेहद आक्रामक रहे हैं. यही वजह है कि उनके विदेश मंत्री चुने जाने पर कई देशों में हड़कंप मच गया है.
भारत पर क्या होगा असर?
मार्को रुबियो ने पिछले वर्षों में अमेरिका के भू-राजनीतिक दुश्मनों चीन, ईरान और क्यूबा के संबंध में एक मजबूत विदेश नीति की वकालत की है. इतना ही नहीं, उन्होंने ट्रंप से जुड़ने के बाद अपने विचारों को उनसे काफी हद तक जोड़ा है और रुख को नरम किया है. वह अमेरिका के युवा नेताओं में हैं.वहीं, मार्को रुबियो को भारत का भी दोस्त माना जाता है, क्योंकि भारत के लिए उनका रूख सदैव ही सकारात्मक रहा है.
ट्रंप प्रशासन के सामने खतरनाक चुनौती
ट्रंप के पिछले प्रशासन की अपेक्षा इस बार की सरकार के सामने अधिक अस्थिर और खतरनाक दुनिया की चुनौती होगी. जिसमें रूस-यूक्रेन युद्ध से लेकर मध्य-पूर्व में चल रहे संघर्ष शामिल है. वहीं, रूस और ईरान जैसे अमेरिकी दुश्मनों से चीन की बढ़ती निकटता एक अलग ही चैलेंज है. इसी बीच हाल ही में रुबियो ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा था कि यूक्रेन को पिछले दशक में रूस द्वारा लिए गए सभी क्षेत्रों को फिर से हासिल करने पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय रूस के साथ बातचीत के जरिए समझौता करने की आवश्यकता है.
बता दें कि वह अप्रैल में पारित यूक्रेन के लिए 95 अरब डॉलर के सैन्य सहायता पैकेज के खिलाफ मतदान करने वाले 15 रिपब्लिकन सीनेटरों में से एक थे. हालांकि रुबियों ने कहा कि “मैं रूस के पक्ष में नहीं हूं- लेकिन दुर्भाग्य से इसकी वास्तविकता यह है कि यूक्रेन में युद्ध बातचीत के माध्यम से ही समाप्त होने वाला है.”
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