MEA on Bangladesh Protest: बांग्लादेश में आरक्षण के खिलाफ उग्र आंदोलन देखने को मिला. इस हिंसा युक्त आंदोलन के बाद पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया गया था. इस हिंसा में अब तक 133 लोगों की मौत की खबर सामने आई है. बांग्लादेश में बड़ी संख्या में भारतीय और छात्र फंसे हुए हैं. हालांकि, 4,500 से अधिक लोगों को वापस स्वदेश लाया जा चुका है.
इस बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बार फिर से बांग्लादेश की स्थिति से अवगत कराया है. विदेश मंत्रालयल ने कहा कि हम बांग्लादेश की स्थिति से अवगत हैं और वहां के घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. भारत देश में चल रही स्थिति को बांग्लादेश का आंतरिक मामला मानता है.
जानिए विदेश मंत्रालय का बयान
भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि बांग्लादेश सरकार के समर्थन और सहयोग से, हम अपने छात्रों की सुरक्षित वापसी की व्यवस्था करने में सक्षम थे. उन्होंने आगे कहा कि एक करीबी पड़ोसी होने के नाते, जिसके साथ हमारे बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध हैं, हमें उम्मीद है कि देश में स्थिति जल्द ही सामान्य हो जाएगी. विगत रविवार को विदेश मंत्रालय ने कहा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में हिंसक झड़पों के कारण 4,500 से अधिक भारतीय छात्र स्वदेश लौट आए हैं.
हम लगातार संपर्क में: MEA
बता दें कि इससे पहले भी विदेश मंत्रालय का बयान सामने आया था. भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा था कि बांग्लादेश में भारतीय मिशन भारतीय नागरिकों की सुरक्षा के लिए स्थानीय अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं. इसी के साथ अब माना जा रहा है कि बांग्लादेश में छात्रों का आंदोलन अब उनके हाथों से निकल कर इस्लामिक कट्टरपंथी पार्टियों जमात-उल- मुजाहिदीन बांग्लादेश (जेएमबी) जैसी ताकतों के हाथों में चला गया है.
बांग्लादेश में क्यों हो रहा प्रदर्शन
दरअसल, बांग्लादेश के प्रदर्शनकारी उस व्यवस्था को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं, जिसके तहत 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम में लड़ने वाले पूर्व सैनिकों के रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में 30 प्रतिशत तक आरक्षण दिया जाता है. विरोध कर रहे लोगों का तर्क है कि इस व्यवस्था की वजह से युवाओं के साथ भेदभाव हो रहा है. पीएम शेख हसीना समर्थकों को लाभ पहुंचाने की कोशिश में हैं.
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