वैज्ञानिकों का बड़ा दावा, बुध ग्रह पर मौजूद है हीरे की मोटी परत

Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Raginee Rai
Raginee Rai
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Diamond in Mercury Planet: वैज्ञानिकों ने सूर्य के सबसे करीबी ग्रह बुध पर हीरे की मौजूदगी का पता लगाया है. हाल ही किए गए एक स्‍टडी में बुध ग्रह के सतह के नीचे हीरे की एक मोटी परत होने की संभावना के बारे में पता चला है. इसकी जानकारी लाइव साइंस ने अपनी एक रिपोर्ट में दी है. चीन में सेंटर फॉर हाई प्रेशर साइंस एंड टेक्नोलॉजी रिसर्च के एक कर्मचारी वैज्ञानिक और स्‍टडी के सह-लेखक यानहाओ लिन ने बताया कि बुध ग्रह की अत्यधिक उच्च कार्बन सामग्री ये बताती है कि शायद इस ग्रह के भीतर कुछ खास हुआ है. उनके मुताबिक बुध ग्रह में एक चुंबकीय क्षेत्र है. हालांकि, यह पृथ्वी के मुकाबले बेहद कमजोर है.

नासा ने खोजा ग्रेफाइट

साथ ही अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के मैसेंजर अंतरिक्ष यान ने अपने स्‍टडी में बुध की सतह पर असामान्य रूप से काले क्षेत्रों की खोज की है, जिसे ग्रेफाइट के तौर पर पहचाना गया है. नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित हुए स्‍टडी से पता चलता है कि ग्रह की संरचना और असामान्य चुंबकीय क्षेत्र पर प्रकाश डालते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, संभवत: एक गर्म लावा महासागर के ठंडा होने से ग्रहों का निर्माण हुआ. इसी तरह अन्य स्थलीय ग्रहों का निर्माण हुआ. बुध को लेकर कहा गया है कि शायद यह सिलिकेट और कार्बन से भरा हुआ था. ग्रह की बाहरी परत और मध्य मेंटल मैग्मा के क्रिस्टल में बदलने से बना, जबकि धातुओं ने पहले इसके अंदर जमकर एक केंद्रीय कोर बनाया.

ये है हीरे के बनने की वजह

कई वर्षो तक वैज्ञानिक मेंटल में तापमान और दबाव को कार्बन के लिए सही मानते रहे, जिसमें ग्रेफाइट बनती है. मेंटल से हल्का होने के वजह से यह सतह पर तैरता रहता है. हालांकि, 2019 का एक स्‍टडी के अनुसार, बुध का मेंटल पहले के मुकाबले 80 किलोमीटर गहरा हो सकता है. इससे मेंटल-कोर सीमा पर दबाव और तापमान में काफी वृद्धि होगी, जिसके फलस्वरूप ऐसी स्थितियां उत्‍पन्‍न होंगी, जहां कार्बन हीरे में क्रिस्टलीकृत हो सकता है.

लैब में तैयार की ग्रह की दबाव स्थिति

चीन और बेल्जियम के रिसर्चर्स की एक टीम ने इस संभावना को देखने के लिए कार्बन, सिलिका और लोहे का उपयोग करके रासायनिक मिश्रण तैयार किए. शोधकर्ताओं ने इन मिश्रणों में आयरन सल्फाइड की अलग-अलग सांद्रताएं मिलाई. वैज्ञानिकों ने मल्टीपल-एनविल प्रेस के इस्‍तेमाल से रासायनिक मिश्रणों को 7 गीगापास्कल का दबाव दिया. दबाव की यह मात्रा यह समुद्र तल पर पृथ्वी के वायुमंडलीय दबाव से 70 हजार गुना ज्‍यादा है. ये कठोर परिस्थितियां बुध ग्रह के अंदर गहराई में पाई जाने वाली परिस्थितियों को दिखाती हैं. बुध के कोर-मेंटल सीमा के पास तापमान और दबाव की सटीक माप के लिए कंप्यूटर मॉडल का इस्‍तेमाल किया.

हीरे की लगभग 15 किमी मोटी परत 

ये कम्यूटर सिम्यूलेशन ग्रह के भीतर की स्थितियों की जानकारी देते हैं. शोध में मिला कि रासायनिक मिश्रण केवल सल्फर मिलाने पर ज्‍यादा तापमान पर जमता है. ऐसी स्थिति में हीरे के निर्माण की संभावना ज्‍यादा रहती है. टीम के कंप्यूटर मॉडल ने सुझाव दिया कि इन बदली हुई परिस्थितियों में बुध ग्रह के आंतरिक कोर के जमने के दौरान हीरे बन सकते हैं. वैज्ञानिकों के अनुसार, अगर हीरे मौजूद हैं, तो वे लगभग 15 किमी (9 मील) मोटी परत बनाते हैं. हालांकि, हीरों की उपस्थिति के बावजूद इनका खनन संभव नहीं है. ग्रह पर अत्यधिक उच्च तापमान के साथ ही  हीरे सतह से लगभग 485 किमी नीचे मौजूद हैं, जिससे इन्हें निकाल पाना नामुमकिन हो जाता है.

ये भी पढें :- ओलंपिक के आगाज से पहले सजा पेरिस, दिल जीत रही तस्वीरें

 

Latest News

क्या रात में सही से नहीं आती है नींद? करें इन एसेंशियल ऑयल का इस्ते‍माल, मिलेगी चैन की नींद

Essential Oils for Sound Sleep: सेहत के लिए पर्याप्‍त नींद लेना बहुत जरूरी है. आमतौर पर व्‍यक्ति को 7...

More Articles Like This