इजरायल के अलावा इन देशों के पास भी है मजबूत सुरक्षा कवच, रॉकेट-मिसाइलों को हवा में ही कर देते हैं ध्वस्त

Raginee Rai
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Missile Defense System: पश्चिम एशिया में इजरायल अकेले चार मोर्चों पर जंग लड़ रहा है. इजरायल के पास मजबूत सुरक्षा कवच है. यह अपने एयर डिफेंस सिस्‍टम के वजह से ही हर बार हमलों से बच पाता है. इजरायली मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम, गाजा, लेबनान, ईरान व यमन से आने वाले रॉकेट और मिसाइलों को हवा में ही ध्‍वस्‍त कर देता है. इजरायल के अलावा भी चार देश हैं, जिनका मिसाइल डिफेंस काफी मजबूत है. ऐसे में आइए उन देशों के बारे में जानें, जिनके पास सबसे घातक विमान रोधी प्रणाली हैं.

चीनी HQ-9 मिसाइल सिस्‍टम

चीन का HQ-9 लंबी दूरी का मिसाइल सिस्टम है. यह दुश्मन के विमान, क्रूज मिसाइलों, हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों,सामरिक बैलिस्टिक मिसाइलों और हेलीकॉप्टरों को निशाना बनाने में सक्षम है. हर मौसम में, यह दिन और रात में काम कर सकता है. एचक्‍यू-9 को 1980 के दशक में डेवलप किया गया. शुरुआत में इसकी प्रेरणा अमेरिका की पैट्रियट वायु रक्षा सिस्‍टम से ली गई.

पैट्रियट मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम

‘फेस्ड एरे ट्रैकिंग रडार टू इंटरसेप्ट ऑन टार्गेट’ को शॉर्ट में पैट्रियट मिसाइल कहा जाता हैं. MIM-104 पैट्रियट सभी मौसम और सभी ऊंचाई वाली एयर डिफेंस सिस्‍टम है. साल 1974 में इसे अमेरिका की सेना में शामिल किया गया था. एक साथ यह करीब 100 मिसाइलों का पता लगाने में सक्षम है. इसकी सबसे छोटी सामरिक सबयूनिट में 4-8 मिसाइलें हैं.

सैम्‍प-टी कॉम्‍पलेक्‍स

सैम्‍प-टी कॉम्‍पलेक्‍स मिसाइल सिस्टम को फ्रांस और इटली ने मिलकर बनाया है. सभी मौसम और स्थितियों में इस्तेमाल के लिए इसे बनाया गया है. यह दुश्मन की जामिंग और रुकावटों के लिए प्रतिरोधी है. जून 1989 में यूरोसैम ने इसे डेवलप किया था.

इजरायली एयर डिफेंस डेविड स्लिंग  

वायु रक्षा डेविड स्लिंग एक इजरायली मध्यम से लंबी दूरी की एयर डिफेंस और मिसाइल डि‍फेंस सिस्‍टम है. इसे अमेरिका और इजरायल ने संयुक्‍त रूप से बनाया है. यह मिसाइल सिस्टम इजरायल को कई तरह के खतरों से बचाने में सक्षम है.

रूसी एस-400

रूसी एस-400 रक्षा प्रणाली दुनिया की सबसे घातक मिसाइल सिस्टम में से एक मानी जाती है. 1990 के दशक में रूस की अल्माज सेंट्रल डिजाइन ब्यूरो द्वारा इसे विकसित किया गया है. हालांकि मौजूदा समय में इसमें हिट-टू-किल डिफेंस सिस्‍टम का अभाव है. इसमें मिसाइलें आने वाले खतरे से जाकर टकरा जाती हैं और उन्हें तबाह करती हैं. एस 400 मिसाइल भारत के पास भी है.

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