Nag mark 2 missile: रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO)ने सोमवार को स्वदेशी नाग मिसाइल Mk 2 का सफल परीक्षण किया है. डीआरडीओ ने यह परीक्षण पोखरण फिल्ड में हुआ. यह एक तीसरी पीढ़ी की एंटी-टैंक मिसाइल है, जो ‘फायर-एंड-फॉरगेट’ तकनीक पर काम करती है. इसका मतलब एक बार निशाना लगाने के बाद यह मिसाइल खुद ही उसे तबाह कर देती है.
सेना में शामिल होने को तैयार ‘Nag Mk 2’ मिसाइल
रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस मिसाइल प्रणालियों ने अपने तीनों परीक्षणों के दौरान अधिकतम और न्यूनतम सीमा के सभी लक्ष्यों को सटीक रूप से नष्ट कर दिया,जिससे इसकी लक्ष्य भेदने की क्षमता की पुष्टि होती है. उन्होंने बताया कि नाग मिसाइल वाहक संस्करण-2 का भी वास्तविक परिस्थिति में क्षमता परीक्षण किया गया. साथ ही पूरी हथियार प्रणाली अब भारतीय सेना में शामिल होने के लिए तैयार है.
300 करोड़ की आई लागत
भारत के इस स्वदेशी मिसाइल डीआरडीओ ने विकसित किया है, जिसमें कुल 300 करोड़ रुपये का खर्च आया है. बता दें कि इसका पहला सफल परीक्षण 1990 में किया गया था. वहीं, जुलाई 2019 में पोखरण फायरिंग रेंज में इसका परीक्षण किया गया था. इसके अलावा साल 2017, 2018 और 2019 में भी अलग-अलग ट्रायल किए गए, जिनमें हर बार नई तकनीक जोड़ी गई. कहा जा रहा है कि यह मिसाइल डीआरडीओ के एकीकृत निर्देशित मिसाइल विकास कार्यक्रम का हिस्सा है, जो दुश्मनों के टैंकों के खिलाफ भारत की ताकत को कई गुना बढ़ाएगी और सेना को आधुनिक तकनीकों से लैस करेगी.
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